Hernandi River: गाजियाबाद जिले की जीवनदायिनी हरनंदी नदी को प्रदूषण से मुक्त करने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। अब जिले के 13 गांवों में फाइटो रेमेडिएशन (Phytoremediation) तकनीक की मदद से नदी को स्वच्छ और प्रदूषण रहित बनाने का कार्य किया जाएगा। इस तकनीक के जरिए विशेष प्रकार के पौधों को इस तरह लगाया जाएगा कि वे सीधे नदी के पानी के संपर्क में आकर उसमें मौजूद हानिकारक तत्वों जैसे अमोनिया और पोटेशियम को अवशोषित कर सकें।
प्रदूषण रोकने को तकनीकी समाधान
Hernandi River: फाइटो रेमेडिएशन तकनीक से लगे पौधे पानी को शोधित करने का काम करते हैं और इन्हें मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती। पर्यावरणविद् रामवीर तंवर, जिन्हें ‘पॉन्डमैन’ के नाम से जाना जाता है, ने बताया कि ये पौधे जल में रहकर जैविक और रासायनिक प्रदूषकों को प्राकृतिक रूप से अवशोषित करते हैं, जिससे जल की गुणवत्ता में सुधार होता है।
13 गांवों में शुरू होगा अभियान
Hernandi River: हरनंदी नदी गाजियाबाद के मुरादनगर, लोनी और राजापुर ब्लॉक के 13 गांवों से होकर गुजरती है। इन गांवों में घरेलू और कृषि अपशिष्ट नदी में बहाया जा रहा है, जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। अब जिन गांवों में यह तकनीक लागू की जाएगी, वे हैं:
मुरादनगर ब्लॉक: सुराना, सुठारी, भदौली, कुन्हैड़ा, रेवड़ी रेवड़ा, खोराजपुर, मतौर, नेकपुर साबितनगर
लोनी ब्लॉक: असालतनगर फर्रूखनगर, भनैड़ा खुर्द, सिरोरा सलेमपुर, मुर्तजा भूपखेड़ी
राजापुर ब्लॉक: मकरेड़ा महमूदाबाद
सिल्ट कैचर और फिल्टर चैंबर भी बनेंगे।
Hernandi River: नदी में बहने वाले ठोस अपशिष्ट और सिल्ट को रोकने के लिए सिल्ट कैचर और फिल्टर चैंबर भी बनाए जाएंगे। इससे नदी में कचरा और तलछट की मात्रा कम होगी, और जलधारा अधिक स्वच्छ बनेगी।
ग्राम पंचायत बजट से होगा कार्य
Hernandi River: जिला पंचायत राज अधिकारी प्रदीप द्विवेदी ने जानकारी दी कि यह परियोजना ग्राम पंचायतों के बजट से क्रियान्वित की जाएगी। सभी ग्राम प्रधानों के साथ बैठक कर उन्हें कार्य योजना की जानकारी दी जाएगी, और जल्द ही जमीन पर कार्य शुरू होगा।
मंडलायुक्त के निर्देश पर कार्य प्रारंभ
Hernandi River: मेरठ मंडलायुक्त द्वारा हरनंदी को पुनर्जीवित करने और प्रदूषणमुक्त बनाने के निर्देशों के तहत इस परियोजना की शुरुआत की जा रही है। उम्मीद है कि यह तकनीक हरनंदी नदी को स्वच्छ बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सफल मॉडल साबित होगी।
