Civil War in America : 38 लाख की आबादी में रहते हैं 13 लाख घुसपैठिये
अमेरिका के प्रमुख शहर लॉस एंजेलिस में बीते चार दिनों से हालात बेहद तनावपूर्ण बने हुए हैं। ट्रंप प्रशासन की इमिग्रेशन नीति और अवैध प्रवासियों के खिलाफ चल रही छापेमारी ने शहर को हिंसा की आग में झोंक दिया है। यहां बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए हैं। आत्मचालित कारों को आग लगाने, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और सुरक्षाबलों से झड़पों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। इन सबके बीच ट्रंप ने लॉस एंजेलिस में हालात काबू में लाने के लिए नेशनल गार्ड्स और मरीन तैनात कर दिए हैं, जिससे स्थिति और अधिक संवेदनशील हो गई है।
Civil War in America : जानिये क्या हैं पूरी खबर ?
दरअसल, ट्रंप सरकार ने अवैध प्रवासियों के खिलाफ शुक्रवार से व्यापक छापेमारी शुरू की थी, जिसका सबसे बड़ा केंद्र लॉस एंजेलिस रहा। इस कार्रवाई में हजारों लोगों को हिरासत में लिया गया, जिनमें मानवाधिकार कार्यकर्ता और वामपंथी समूहों से जुड़े लोग भी शामिल हैं। यह खबर सामने आते ही फेडरल बिल्डिंग विरोध का मुख्य केंद्र बन गई, जहां प्रदर्शनकारी बड़ी संख्या में जुटे। जैसे-जैसे विरोध बढ़ा, हिंसा भड़क उठी। उपद्रवियों ने शहर में तोड़फोड़ शुरू कर दी। ट्रंप ने हालात काबू करने के लिए 2000 नेशनल गार्ड्स की तैनाती के साथ-साथ 700 मरीन सैनिकों को भी सड़कों पर उतारने का आदेश दिया। इस कदम का कैलिफोर्निया के गवर्नर ने विरोध किया, इसे उकसावे भरा और गैरकानूनी बताया।
लॉस एंजेलिस को ट्रंप की डिपोर्टेशन नीति के तहत मुख्य टारगेट बनाए जाने के पीछे इसकी जनसंख्या संरचना अहम कारण है। यहां करीब 38 लाख की आबादी में 13 लाख से अधिक अवैध प्रवासी हैं, जिनमें से 48.6% लैटिनो और हिस्पैनिक समुदाय से हैं। हर तीन में से एक नागरिक अप्रवासी है। बीते साल इसे सेंक्चुरी सिटी घोषित किया गया था, यानी यहां के प्रशासन की नीति प्रवासियों को संरक्षण देने की है। यही वजह है कि ट्रंप के आदेशों का यहां तीखा विरोध हो रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, ट्रंप की आक्रामक नीति 2024 के चुनावी एजेंडे का हिस्सा है, जिससे अमेरिका के भीतर गहराता सामाजिक विभाजन और तीव्र हो गया है।
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