NEP 2020 Politics : नई शिक्षा निति पर बोले शिक्षा मंत्री
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को लेकर उठ रहे विवादों पर प्रतिक्रिया देते हुए स्पष्ट किया कि यह नीति किसी भी राज्य पर हिंदी को थोपने का प्रयास नहीं करती है। उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 मातृभाषा में शिक्षा को बढ़ावा देने पर केंद्रित है और इसमें सभी भाषाओं को समान महत्व दिया गया है। उनके इस बयान के पीछे तमिलनाडु सरकार द्वारा एनईपी 2020 की त्रिभाषा नीति पर की जा रही आलोचना को एक राजनीतिक कदम बताया जा रहा है।
NEP 2020 Politics : मातृभाषा आधारित शिक्षा को बढ़ावा
रविवार, 2 मार्च 2025 को मीडिया से बातचीत के दौरान प्रधान ने कहा, “हमने कभी नहीं कहा कि इसमें
केवल हिंदी होगी। शिक्षा मातृभाषा में दी जाएगी। तमिलनाडु में यह तमिल में होगी, ओडिशा में उड़िया, पंजाब में पंजाबी में शिक्षा दी जाएगी।” उन्होंने आगे कहा कि एनईपी 2020 हिंदी, तमिल, उड़िया, पंजाबी सहित सभी भाषाओं को समान महत्व देता है और किसी भी भाषा को दूसरे पर प्राथमिकता नहीं दी गई है।
तमिलनाडु सरकार द्वारा एनईपी की त्रिभाषा नीति पर जताई गई आपत्ति का जवाब देते हुए प्रधान ने इसे “राजनीति से प्रेरित” बताया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग अपने राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए इस नीति का विरोध कर रहे हैं, जबकि इसका उद्देश्य बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा देने के साथ-साथ अन्य भाषाओं का ज्ञान प्रदान करना है। इसी दिन प्रधान दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज के 126वें स्थापना दिवस समारोह में भी शामिल हुए, जहां उन्होंने त्रिभाषा नीति के महत्व और इसके लाभों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “देश की सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए विशेषज्ञों ने त्रिभाषा नीति को सबसे उपयुक्त पाया है।”
उन्होंने बताया कि बहुभाषी शिक्षा प्रणाली से छात्रों को रोजगार के बेहतर अवसर मिल सकते हैं और यह राष्ट्रीय एकता को भी मजबूत करेगी। “अगर कोई व्यक्ति सिर्फ अपनी मातृभाषा तक सीमित रहता है, तो उसकी नौकरी के अवसर सीमित हो सकते हैं। लेकिन अगर वह दो या तीन भाषाएं जानता है, तो उसके लिए देशभर में और वैश्विक स्तर पर अवसर बढ़ जाते हैं,” प्रधान ने कहा। इसके अलावा, उन्होंने शिक्षा प्रणाली में सुधारों और नई शिक्षा नीति के तहत किए गए बदलावों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 का उद्देश्य विद्यार्थियों को उनकी प्राथमिक भाषा में मजबूत नींव देना और उन्हें बहुभाषी शिक्षा का लाभ प्रदान करना है, ताकि वे देश और विदेश में बेहतर अवसरों का लाभ उठा सकें।
