Ghaziabad News : गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) की तुलसी निकेतन कॉलोनी में जर्जर भवनों का खतरा दिन-ब-दिन गहराता जा रहा है। हाल ही में एक दर्दनाक हादसे में कॉलोनी के एक भवन का छज्जा गिरने से मामा-भांजे की मौत हो गई थी, जिसके बावजूद कई लोग अब भी इन खतरनाक मकानों में रह रहे हैं। जीडीए की ओर से इन इमारतों को लेकर पहले ही जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की रिपोर्ट के आधार पर इन्हें पांच वर्ष पूर्व ‘असुरक्षित’ घोषित किया जा चुका है। साथ ही, यहां रहने वालों को मकान खाली करने के लिए नोटिस भी जारी किए जा चुके हैं। लेकिन स्थानीय लोग अब भी खतरे के बीच रहना जारी रखे हुए हैं।
Ghaziabad News : 2292 फ्लैट और 10 हजार से अधिक की आबादी
गौरतलब है कि वर्ष 1989-90 में जीडीए ने आठ हेक्टेयर जमीन पर 2004 ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) और 288 एलआईजी (निम्न आय वर्ग) फ्लैट्स का निर्माण कर तुलसी निकेतन कॉलोनी की स्थापना की थी। वर्तमान में इस कॉलोनी में कुल 2292 फ्लैट और 60 दुकानें हैं, जिनमें लगभग 10 हजार से अधिक लोग रह रहे हैं।
Ghaziabad News : मरम्मत की कमी ने बढ़ाया संकट
आवासीय भवनों के आवंटन के बाद से इनकी मरम्मत नहीं की गई, जिससे संरचनाएं अब पूरी तरह जर्जर हो चुकी हैं। स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है। जीडीए के अपर सचिव प्रदीप कुमार सिंह ने जानकारी दी कि जीडीए उपाध्यक्ष के निर्देश पर कॉलोनी में विस्तृत सर्वे चल रहा है। अभी तक 400 से अधिक भवनों का सर्वे पूरा हो चुका है। इस सर्वे में मूल आवंटी, किरायेदार, पावर ऑफ अटॉर्नी धारक और उनके मोबाइल नंबरों को भी दर्ज किया जा रहा है।
सर्वे का कार्य सुपरवाइजर, जूनियर इंजीनियर (JE), सहायक अभियंता (AE) की निगरानी में किया जा रहा है और रिपोर्ट कार्यकारी अभियंता (XEN) को दी जा रही है। जीडीए ने सर्वे को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए हैं, ताकि आगे की कार्रवाई समय पर की जा सके।
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