Miss World Controversy : पैगंबर पर टिप्पणी, आटा बम और छिन गया ताज: मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता के 5 बड़े विवादों की कहानी
मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता जितनी भव्य और ग्लैमरस मानी जाती है, उतनी ही यह विवादों में भी घिरी रही है। इस मंच पर जहां दुनिया भर की खूबसूरत और प्रतिभाशाली महिलाएं अपना जलवा दिखाती हैं, वहीं इससे जुड़े कई विवाद भी समय-समय पर सामने आते रहे हैं। हाल ही में भारत के हैदराबाद में आयोजित 72वीं मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में भाग लेने आईं मिस इंग्लैंड मिला मैगी ने आयोजन पर गंभीर आरोप लगाए और प्रतियोगिता बीच में छोड़कर इंग्लैंड लौट गईं। इससे यह प्रतिष्ठित सौंदर्य प्रतियोगिता एक बार फिर सुर्खियों में आ गई है। लेकिन यह पहला मौका नहीं है जब इस आयोजन को आलोचना और विवाद का सामना करना पड़ा हो। आइए जानते हैं मिस वर्ल्ड से जुड़े पांच सबसे बड़े विवादों के बारे में।
Miss World Controversy : कब-कब हुआ विवाद ?
ताजा मामला मिस इंग्लैंड मिला मैगी का है जिन्होंने प्रतियोगिता से हटने का फैसला नैतिक कारणों का हवाला देकर लिया। उनका कहना था कि आयोजकों ने उन पर अधेड़ उम्र के लोगों के साथ मेलजोल बढ़ाने का दबाव बनाया, उन्हें दिन भर मेकअप कर गाउन पहनकर रहने को मजबूर किया गया और उन्होंने खुद को एक वेश्या की तरह महसूस किया। मिला ने यह भी आरोप लगाया कि इस मंच पर महिलाओं को सिर्फ सजावट की वस्तु समझा जाता है। उनके प्रतियोगिता छोड़ने के बाद मिस इंग्लैंड की रनर-अप शार्लट ग्रांट को भेजा गया। इस घटना ने मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता की कार्यप्रणाली और इसके पीछे के वातावरण पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
एक अन्य बड़ा विवाद साल 2002 में तब सामने आया जब मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता का आयोजन नाइजीरिया में प्रस्तावित किया गया। यह देश धार्मिक रूप से बेहद संवेदनशील है और वहां की मुस्लिम आबादी ने इस आयोजन को ‘अश्लीलता बढ़ाने वाला’ बताया। इसी दौरान एक स्थानीय पत्रकार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि पैगंबर मोहम्मद होते तो शायद वे भी इस प्रतियोगिता को मंजूरी देते और किसी एक प्रतियोगी को अपनी पत्नी चुनते। इस टिप्पणी से पूरे देश में आक्रोश फैल गया और भारी दंगे भड़क उठे। मुस्लिम और ईसाई समुदायों के बीच टकराव इतना हिंसक हो गया कि तीन दिनों तक चले संघर्ष में 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई। अंततः यह प्रतियोगिता यूके में स्थानांतरित कर दी गई जहां तुर्की की अजरा अकीन ने खिताब जीता।
मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता की शुरुआत भी विवाद से अछूती नहीं रही थी। वर्ष 1951 में एरिक मॉर्ले ने इस प्रतियोगिता की नींव रखी थी जिसे पहले “फेस्टिवल बिकिनी कॉन्टेस्ट” नाम दिया गया था। यह लंदन के फेस्टिवल ऑफ ब्रिटेन के हिस्से के रूप में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य भीड़ को आकर्षित करना था। लेकिन जैसे ही महिलाओं को बिकिनी में मंच पर प्रस्तुत किया गया, विश्व स्तर पर इसकी आलोचना शुरू हो गई। पोप ने भी इस आयोजन को गलत करार दिया। उस समय स्वीडन की किकी हाकनसन ने खिताब जीता था, पर यह आयोजन महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला बताया गया।
1960 के दशक में इस प्रतियोगिता पर एक बार फिर सवाल उठे। आलोचकों का कहना था कि मिस वर्ल्ड जैसे मंच महिलाओं को एक ‘ऑब्जेक्ट’ यानी सजावटी वस्तु के रूप में पेश करता है। 1970 में इस विरोध ने हिंसक रूप ले लिया जब ब्रिटेन में हो रहे मिस वर्ल्ड आयोजन के दौरान महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने मंच पर आटा बम और सड़े फल फेंके। यह घटना रॉयल अल्बर्ट हॉल में हुई, जहां करीब 60 महिला कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया और सह-आयोजक बॉब होप पर हमला किया। हालांकि उसी साल पहली बार एक अश्वेत महिला, जेनिफर हॉस्टन ने मिस वर्ल्ड का खिताब जीता, जिसने इस मंच को विविधता की दिशा में एक नई राह दिखाई।
मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता से जुड़े विवादों में सबसे चर्चित मामलों में से एक वह है जिसमें विजेताओं से उनका ताज छीन लिया गया। 1973 में अमेरिका की मार्जरी वैलेस ने मिस वर्ल्ड का खिताब जीता था, लेकिन उनके एक फुटबॉलर के साथ अंतरंग संबंधों की तस्वीरें सामने आने के बाद उनसे ताज वापस ले लिया गया। वह मिस वर्ल्ड बनने वाली पहली अमेरिकी महिला थीं और खिताब गंवाने वाली भी पहली अमेरिकी बन गईं। इसके अगले ही साल 1974 में इंग्लैंड की हेलेन मॉर्गन ने खिताब जीता लेकिन चार दिन बाद यह पता चला कि वह शादीशुदा हैं और उनका एक बच्चा भी है। इसके चलते उनका खिताब छीन लिया गया।
इसी प्रकार, जर्मनी की जैब्रीला बर्म ने भी खिताब जीतने के कुछ ही घंटों बाद यह ताज लौटा दिया। उन्होंने सार्वजनिक रूप से यह कहा कि उनके बॉयफ्रेंड को यह खिताब पसंद नहीं, इसलिए उन्होंने यह फैसला लिया। हालांकि बाद में रिपोर्ट्स में यह बात भी सामने आई कि जैब्रीला की कुछ न्यूड तस्वीरें एक मैगजीन में छपी थीं, जो कि मिस वर्ल्ड के नियमों का उल्लंघन था। इस तरह के तमाम विवाद इस बात को दर्शाते हैं कि सौंदर्य की इस प्रतियोगिता में ग्लैमर के पीछे कई बार गहरे और गंभीर सवाल छिपे होते हैं, जो समाज, संस्कृति और नैतिकता से जुड़े होते हैं।
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