Yashoda Hospital Case : गाजियाबाद के कौशांबी स्थित यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल एक बार फिर विवादों में घिर गया है। दरअसल, मुजफ्फरनगर निवासी एक युवक की अस्पताल में इलाज के दौरान संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई, जिसके बाद परिजनों और भारतीय किसान यूनियन (BKU) के कार्यकर्ताओं ने अस्पताल के बाहर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। जिसके बाद अब इस घटना को लेकर जिला प्रशासन ने चार सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है। जांच समिति के गठन को लेकर जिलाधिकारी कार्यालय की ओर से एक फरमान जारी किया गया है। जिसमें बताया गया है कि स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी अब इस मामले की जांच करेंगी। लेकिन हैरान कर देने वाली बात ये है कि इस फरमान में मृतक का नाम ‘अर्पित’ लिखा गया है। जबकि मृतक का नाम उज्ज्वल है। ‘अर्पित’ उज्ज्वल का भाई है जो मामले में जांच के लिए सरकार पर लगातार दबाव बनाए हुए है। अर्पित का कहना है कि जब मैंने फोन कर पूछा की मेरा नाम क्यों लिखा गया है तो जिलाधिकारी कार्यालय में बैठे कर्मचारियों ने पल्ला झाड़ते हुए कहा हम देख रहे है और फोन काट दिया।
Yashoda Hospital Case : पहले पढ़े क्या है मामला…
दरअसल, 35 वर्षीय उज्ज्वल चौधरी (पुत्र श्री जितेंद्र चौधरी), निवासी भैंसी, खतौली (मुजफ्फरनगर) को 26 मई 2025 को हर्निया के ऑपरेशन के लिए यशोदा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन इलाज के कुछ ही दिनों बाद, 2 जून की रात 1:31 बजे, उनकी मौत हो गई। मृतक के परिजनों और भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया है कि उज्ज्वल की मौत डॉक्टरों की लापरवाही और गलत इलाज के कारण हुई। वे अस्पताल प्रबंधन की ओर से दी गई सफाई से संतुष्ट नहीं हैं। मौत के बाद ही परिजनों ने पहली बार अस्पताल के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था। अब किसान यूनियन के बैनर तले आंदोलन और तेज़ हो गया है। लेकिन पुलिस द्वारा शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराया गया तो रिपोर्ट में मौत का स्पष्ट कारण सामने नहीं आ सका। इस वजह से बिसरा सुरक्षित रखा गया है, ताकि विस्तृत फोरेंसिक जांच की जा सके।
Yashoda Hospital Case : जिला प्रशासन की पहल: जांच समिति गठित
घटना की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी दीपक मीणा ने चार सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है, जिसकी अध्यक्षता अपर जिलाधिकारी (भू-अर्जन) विवेक मिश्रा कर रहे हैं। अन्य सदस्यों में स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। जिसमें डॉ. संजय गुप्ता, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, संजयनगर, डॉ. अमित विक्रम, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, डॉ. राकेश कुमार गुप्ता, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी है। जांच समिति को निर्देश दिए गए हैं कि वे तथ्यों की गहराई से जांच कर शीघ्र रिपोर्ट सौंपें।
Yashoda Hospital Case : अस्पताल प्रबंधन की सफाई
वहीं दूसरी तरफ 2 जून को यशोदा अस्पताल ने एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा था कि मरीज की स्थिति अत्यंत नाजुक थी और उसे बचाने के लिए सभी जरूरी चिकित्सा प्रयास किए गए, लेकिन दुर्भाग्यवश उसे बचाया नहीं जा सका। फिलहाल, परिजन और यूनियन कार्यकर्ता जांच पूरी होने तक आंदोलन जारी रखने के मूड में हैं। अब निगाहें जिला प्रशासन की जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो तय करेगी कि सच में लापरवाही हुई या नहीं। लेकिन सवाल है कि जब जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा जारी किए गए फरमान में मृतक का नाम ही गलत लिखा है तो पीड़ित परिवार डीएम साहब की कमेटी पर कैसे भरोसा करेगा।
