GDA News: गाजियाबाद। अवैध निर्माण करने वालों की खैर नहीं। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण अब अपने आठों जोन में अवैध निर्माण पर लगाम लगाने के लिए आर्टिफिशल इंटेलीजेंस की मदद लेगा। इसके लिए जीडीए ने जियोट्रिक्स एनालिटिक्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ करार किया है। शहर में निर्माण गतिविधियों के प्रबंधन और निगरानी में बदलाव लाने के लिए एआई से भू-स्थानिक विश्लेषण यानी जियोस्पाटियल एनालिसिस किया जाएगा।
सैटेलाइट डेटा से चलेगा पता
GDA News: एनफोर्समेंट जियाट्रिक्स सॉफ्टवेयर से सैटेलाइट डेटा के आधार पर अवैध निर्माण को चिह्नित किया जाएगा। इससे मैप के अनुसार निर्माण होने का भी पता चलेगा | गाजियाबाद से पहले इस सिस्टम को इससे पहले वाराणसी विकास प्राधिकरण में लागू किया गया है। वहां पर इस तकनीक से अवैध निर्माण को चिह्नित कर कार्रवाई भी की जा रही है। जीडीए के अधिकारियों की मानें कि नए साल में इस सिस्टम को शुरू कर दिया जाएगा। ऐसा होने के बाद सुपरवाइजर और जेई अपनी जिम्मेदारियों से नहीं बच सकेंगे ।
पता चल जाएगा किस जगह पर नक़्शे के विपरीत हो रहा काम
GDA News: सैटेलाइट इमेज से अवैध निर्माण चिह्नित होंगे। एक इमेज तीन महीने पहले और दूसरी तीन महीने बाद की होगी। इसके बाद एआई से इसका विश्लेषण किया जाएगा। नक्शे के साथ उसका मिलान किया जाएगा। इससे पता चल जाएगा कि किस जगह पर नक्शे के विपरीत निर्माण हो रहा है या फिर पूरी तरह से अवैध निर्माण हो रहा है। इस पर संबंधित प्रवर्तन टीम को एक्शन लेने के लिए रिपोर्ट भेजी जाएगी। साथ ही उनका स्पष्टीकरण भी लिया जाएगा। पहले चरण में 1000 वर्ग मीटर या इससे बड़े भूखंड पर फोकस रहेगा। इस तकनीक से जिले में बन रही अवैध कॉलोनी का आसानी से पता लगाया जा सकेगा। उस स्पॉट पर क्या काम हो रहे हैं, उसका भी पता चल जाएगा। कमियां मिलने के बाद वहां पर टीम भेजकर उसे ध्वस्त किए जाने की कार्रवाई की जाएगी। जोन वाइज सैटेलाइट इमेज को लिया जाएगा। बड़े भूखंडों के साथ ही साथ हर नए निर्माण पर निगरानी होगी। इससे नए अवैध निर्माण को पूरी तरह से रोका जा सके।
कार्रवाई नहीं करने पर होगा एक्शन
GDA News: यदि प्रवर्तन टीम का कोई अधिकारी अवैध निर्माण पर तय समय के भीतर कार्रवाई नहीं करेगा तो उसके खिलाफ एक्शन होगा। जब किसी जोन से किसी अधिकारी का ट्रांसफर होगा तो उसे सैटेलाइट इमेज पर हस्ताक्षर करके आने वाले अधिकारी को देना होगा। इस सॉफ्टवेयर में सैटेलाइट डेटा के आधार पर निर्माण का क्षेत्रफल, तल और निर्माण होने का समय विवरण देशांतर के साथ प्राप्त हो सकता है। ऐसे में बड़ी संख्या में नवनिर्माण को चिह्नित किया जा सकेगा। इस सैटेलाइट डेटा के आधार पर निर्धारित क्षेत्र की फोटो और लोकेशन को आसानी से प्राप्त करना संभव है ।
