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Ghaziabad News : छोटा हरिद्वार या मौत का जाल? मुरादनगर नहर में बढ़ती मौतों के बीच प्रशासन की लापरवाही!

Ghaziabad News

Ghaziabad News : मुरादनगर की नहर, जिसे स्थानीय लोग श्रद्धा से “छोटा हरिद्वार” भी कहते हैं, एक बार फिर से विवाद और चिंता का केंद्र बन गई है। वर्ष 2023 में जहाँ डूबने की घटनाओं में लगभग 30 से 35 लोगों की मौत दर्ज की गई थी, वहीं वर्ष 2024 में यह संख्या बढ़कर 40 हो गई है। बता दें कि वर्ष 2025 की शुरुआत में ही अब तक 4 लोगों की जान जा चुकी है और कुल 7 से 11 लोग डूबे, जिनमें से कुछ को स्थानीय लोगों द्वारा बचा लिया गया।

Ghaziabad News : मुसलमान होने के कारण गोताखोरों को हटाने का आरोप
इस भयावह स्थिति के बीच एक और गंभीर आरोप सामने आया है। दरअसल स्थानीय मुस्लिम गोताखोर एहसान का कहना है कि उन्हें और उनके साथी रिहान को सिर्फ इसलिए वहां से हटा दिया गया क्योंकि वे मुसलमान हैं। एहसान और रिहान लंबे समय से नहर में डूबते लोगों को बचाने का कार्य कर रहे थे, लेकिन एक विवाद के बाद उन्हें इस सेवा से हटा दिया गया।

Ghaziabad News : श्रद्धालुओं से आभूषण लूटकर हत्या के आरोप
बता दें कि विवाद की जड़ में स्थानीय महंत मुकेश गोस्वामी हैं, जिन पर नहर के पास सीसीटीवी कैमरे लगाने और अनुचित गतिविधियों में संलिप्त होने के गंभीर आरोप लगे हैं। वही पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज किए जाने के बाद से महंत फरार हैं। इसके अलावा बीजेपी के लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि महंत से जुड़े कुछ लोग श्रद्धालुओं को जानबूझकर पानी में खींच लेते हैं और उनके सोने-चांदी के आभूषण लूट कर हत्या कर देते हैं।

Ghaziabad News : सुरक्षा व्यवस्था की कमी से बढ़ी असुरक्षा की भावना
इस पूरे घटनाक्रम में चिंताजनक बात यह है कि मुस्लिम गोताखोरों को झूठे आरोपों के तहत हटाया गया, जबकि आंकड़े और घटनाएं यह दर्शा रही हैं कि उनके जाने के बाद डूबने की घटनाएं और बढ़ गई हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि मुस्लिम गोताखोरों की वजह से कई जानें बचाई गई थीं। बता दें कि स्थिति अब फिर से पहले जैसी हो चली है। क्षेत्र में पुनः धार्मिक अनुष्ठान, पूजा-पाठ और हवन होने लगे हैं, लेकिन सुरक्षा की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई है। प्रशासन अभी तक कोई स्पष्ट कार्रवाई नहीं कर पाया है, जिससे लोगों में असुरक्षा और अविश्वास की भावना बढ़ रही है।

स्थानीय निवासियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह नहर श्रद्धा का केंद्र नहीं, बल्कि भय और शंका का प्रतीक बनकर रह जाएगी।

Himanshu Garg
Author: Himanshu Garg

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