Jammu and Kashmir : जम्मू-कश्मीर में तैनात सीआरपीएफ जवान मुनीर खान और उनकी पाकिस्तानी पत्नी मिनल खान की प्रेम कहानी इन दिनों सुर्खियों में है। यह कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं—जहां प्यार ने सरहदों को पार किया, लेकिन अब यही प्रेम कानूनी और प्रशासनिक उलझनों में उलझ गया है। जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने भले ही मिनल को 10 दिन की निर्वासन से राहत दी हो, लेकिन मुनीर की नौकरी अब खतरे में दिखाई दे रही है।
Jammu and Kashmir : ऑनलाइन शुरू हुआ प्यार, व्हाट्सएप पर हुआ निकाह
मुनीर और मिनल की मुलाकात डिजिटल दुनिया में हुई थी। सोशल मीडिया पर बातचीत के बाद दोनों करीब आए और 24 मई, 2024 को व्हाट्सएप वीडियो कॉल के ज़रिए निकाह कर लिया। मिनल मार्च 2025 में टूरिस्ट वीजा पर वाघा बॉर्डर के जरिए भारत आई थीं, जिसका वैधता काल 22 मार्च, 2025 तक था। मुनीर ने शादी के लिए सीआरपीएफ से अनुमति मांगी थी, लेकिन मंजूरी मिलने से पहले ही उन्होंने निकाह कर लिया। इस वजह से उन पर अब प्रक्रियात्मक उल्लंघन और सेवा शर्तों के उल्लंघन का आरोप है। बता दे की वर्तमान में सीआरपीएफ की 41वीं बटालियन में तैनात हैं।
Jammu and Kashmir : वीजा उल्लंघन और राष्ट्रीय सुरक्षा पर उठे सवाल
शादी के बाद मिनल भारत में ही रह रही थीं, जबकि उनका वीजा समाप्त हो चुका था। जवान मुनीर ने इस बात की जानकारी सीआरपीएफ या प्रशासन को नहीं दी, जो कि आचरण नियमों का उल्लंघन माना गया है। इसके चलते देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। बताया जा रहा है की स्थिति और भी गंभीर तब हो गई जब 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में आतंकी हमला हुआ जिसमें 26 लोगों की जान चली गई। इसके बाद भारत सरकार ने सभी पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने का आदेश जारी किया, और इसी के तहत मिनल के निर्वासन की प्रक्रिया शुरू की गई।
Jammu and Kashmir : हाई कोर्ट की राहत, लेकिन नौकरी पर खतरा बरकरार
29 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने मिनल को 10 दिन की राहत दी है। अब अगली सुनवाई 10 मई, 2025 को होगी। लेकिन मुनीर के लिए संकट गहराता जा रहा है। सीआरपीएफ ने साफ किया है कि जवान ने सीसीएस (आचरण) नियम 1964 के नियम 21(3) का उल्लंघन किया है और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई पर विचार किया जा रहा है।
Jammu and Kashmir : प्यार और कर्तव्य के टकराव की बनी मिसाल
यह मामला अब सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं रह गया, बल्कि यह प्यार और कर्तव्य के टकराव की मिसाल बन गया है। सोशल मीडिया पर जहां कुछ लोग इस जोड़ी को ‘वीर-ज़ारा 2.0’ कह रहे हैं, वहीं कुछ इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ कर देख रहे हैं।अब देखना यह है कि कोर्ट का अगला फैसला इस जोड़ी के लिए क्या मोड़ लेकर आता है, और क्या सिस्टम में कोई इंसानियत की जगह निकल पाती है।
