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Ghaziabad News: कौशांबी बस डिपो हुआ जलमग्न, हजारो यात्रियों का सफर हुआ प्रभावित

Ghaziabad News: रोडवेज बसों में अच्छे सफर का सपना लेकर हर रोज 40 हजार यात्री कौशांबी डिपो पहुंचते हैं, लेकिन उनका सपना अधूरा रह गया, क्योंकि शुक्रवार को हुई बारिश के बाद कौशांबी डिपो एक से डेढ़ फीट पानी भरने से तालाब में तब्दील हो गया।जैसे ही यात्रियों ने कौशांबी को देखा तो उनके मुंह से एक ही बात निकली कि यह बस स्टेशन है या तालाब। यहां तक ​​कि प्रतीक्षालय में भी पानी भर गया और बड़ी संख्या में यात्री वापस लौट गए।

Ghaziabad News: गाजियाबाद स्थित कौशांबी बस डिपो, जो दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे के समीप है, प्रदेश भर के यात्रियों के लिए एक प्रमुख केंद्र बन गया है। रोजाना यहां 900 से 1000 बसों के माध्यम से लगभग 30 से 40 हजार यात्री सफर करते हैं। हालांकि, यात्रियों को प्रतिदिन बसों के अंदर किसी न किसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आपको बता दें की कौशांबी डिपो में जलनिकासी न होने के कारण बारिश के बाद जलभराव हो गया। इससे यात्रियों के पूरे सफर का मजा किरकिरा हो गया। अगर जलनिकासी की व्यवस्था होती तो यात्रियों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। उधर, अधिकारियों का कहना है कि बाहर से नाले का पानी डिपो में आता है। नाला गलत तरीके से बनाया गया है। इसके लिए कई बार नगर निगम को पत्र लिखा जा चुका है, लेकिन कोई समाधान नहीं हो रहा।

बसडेपो में पानी देखकर गेट से ही लौटे लोग

Ghaziabad News: कौशांबी डिपो में हाल ही में हुई भारी बारिश के कारण डिपो परिसर में जलभराव हो गया, जिससे यात्रियों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ा। डिपो के मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही यात्रियों को चारों ओर पानी ही पानी दिखाई दिया। कुछ यात्रियों ने पानी से होकर बसों तक पहुंचने की कोशिश की, जबकि कई यात्रियों को अपने सामान और बच्चों को सिर पर उठाकर वापस लौटना पड़ा। इन यात्रियों को मजबूरन निजी बसों और अन्य वाहनों का सहारा लेना पड़ा।अधिकारियों की लापरवाही के कारण एक तरफ यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ी। वहीं परिवहन निगम को राजस्व का नुकसान उठाना पड़।

वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का भी कोई लाभ नहीं

Ghaziabad News: परिवहन निगम द्वारा लगभग ढाई वर्ष पूर्व वर्षा जल संचयन के उद्देश्य से एक रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित किया गया था, जिसमें लाखों रुपये की लागत आई। हालांकि, इंजीनियरों द्वारा इसे ऐसी जगह पर बनाया गया जहाँ बारिश का पानी पहुँच ही नहीं पाता, जिससे यह प्रणाली निष्क्रिय हो गई है।

Shivam Goel
Author: Shivam Goel

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