Ghaziabad News: , जिला न्यायालय परिसर में 10 मई को राष्ट्रीय लोक अदालत की तैयारी कि जाएगी। इसमें विभिन्न प्रकार के वादों का सुलह समझौते के आधार पर मौके पर ही निस्तारण किया जा सकता है, जससे आम जनता के समय और पैसे की बचत होती है. इसे सफल बनाने के लिए विभिन्न माध्यमों से प्रचार प्रसार किया जा रहा है। लोक अदालत से जहां एक तरफ विभिन्न विभागों को राजस्व की वसूली होती है। वहीं, दूसरी तरफ न्यायालय से मुकदमों का बोझ कम होता है।जनपद न्यायाधीश हीरालाल ने राष्ट्रीय लोक अदालत के संबंध में ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार कराने के आदेश दिए हैं। ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा इस लोक अदालत का लाभ उठा सकें। इसे आयोजित करने के पीछे मंशा है कि अधिक से अधिक वादों का गुणवत्ता पूर्ण निस्तारण किया जा सके।सभी विभागों को जनपद न्यायाधीश द्वारा निर्देश दिया गया है कि वे लोक अदालत को लेकर अपने कार्यालय के बाहर बैनर जरूर लगाएं।
लोक अदालत में भेजने योग्य मामले
Ghaziabad News: लोक अदालत राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) द्वारा छोटे विवादों के लिए त्वरित और कुशल न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक पहल है। राष्ट्रीय लोक अदालत में उन मामलों को भेजा जा सकता है जो समझौता योग्य और सुलह से निपटाये जा सकते हैं, जैसे कि पारिवारिक विवाद, मोटर दुर्घटना प्रतिकर, बैंक रिकवरी, श्रम विवाद, और बिजली व जल और सेना निवृति के परिलाभ संबंधी मामले ,राजस्व वाद,अन्य सिविल वाद।
लोक अदालत से होने वाले फायदे
Ghaziabad News: 1 . निःशुल्क: किसी न्यायालय शुल्क की आवश्यकता नहीं होती, जिससे न्याय सुलभ हो जाता है।
2 . त्वरित समाधान: सिविल अदालतों के विपरीत, मामलों का समाधान कुछ घंटों या दिनों में हो जाता है।
3 . अंतिम निर्णय: कोई अपील विकल्प न होने से विवादों का शीघ्र निपटारा सुनिश्चित होता है।
4 . आपसी समझौता: दोनों पक्ष निष्पक्ष समझौते पर सहमत होते हैं, जिससे लंबी सुनवाई से बचा जा सकता है।
5. न्यायालय का बोझ कम करता है: भारतीय न्यायालयों में लंबित 4 करोड़ से अधिक मामलों को निपटाने में मदद करता है।
6 . सभी के लिए कानूनी सहायता: आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करती है।
अकेले 2021 में 75 लाख से अधिक मुकदमे-पूर्व मामलों का निपटारा किया गया।
लोक अदालत के नियम
Ghaziabad News: 1. दोनों पक्षों को स्वेच्छा से भाग लेने के लिए सहमत होना चाहिए।
2. केवल समझौता योग्य आपराधिक एवं सिविल मामले ही स्वीकार किए जाएंगे।
3. कानूनी प्रतिनिधित्व की कोई आवश्यकता नहीं, जिससे प्रक्रिया परेशानी मुक्त हो जाती है।
4. पारित किए गए निर्णय सिविल न्यायालय के आदेश की तरह बाध्यकारी होते हैं।
5. कार्यवाही अनौपचारिक है और आपसी समझौते पर केंद्रित है।
6. भारत में सिविल अदालतों में 4 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं, जो लोक अदालतों की आवश्यकता को सिद्ध करते हैं।
Ghaziabad News: लोक अदालत स्थापना के बाद से 3 करोड़ से अधिक मामलों का निपटारा करने के साथ, यह भारत के कानूनी ढांचे का एक अनिवार्य हिस्सा साबित हुआ है।अगर आप किसी भी लंबित वाद या प्रकरण को राष्ट्रीय लोक अदालत में सुलह समझौते के आधार पर निस्तारित करवाना चाहते हैं तो संबंधित न्यायालय के पीठासीन अधिकारी, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गाजियाबाद के कार्यालय से संपर्क कर अपने वाद को राष्ट्रीय लोक अदालत में नियत कर स
