Ghaziabad News : गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में लापरवाही के एक और गंभीर मामले का खुलासा हुआ है। इंदिरापुरम योजना में एक ही भूखंड को दो अलग-अलग व्यक्तियों को आवंटित कर दिया गया, जिससे पीड़ित पक्ष को वर्षों तक न्याय के लिए जीडीए के चक्कर काटने पड़े। जब समाधान नहीं निकला, तो मामला कोर्ट में पहुंच गया, जहां से कड़ा संज्ञान लिया गया।
Ghaziabad News : क्या है पूरा मामला?
इंदिरापुरम योजना के एसके-2 सेक्टर के प्लॉट नंबर 76वी को पहले विनोद वैश्य और उनकी पत्नी सरस्वती देवी को आवंटित किया गया था। सरस्वती देवी की मृत्यु के बाद, 2004 में विनोद वैश्य ने प्लॉट को अमित सुंदरा के नाम ट्रांसफर कराने के लिए आवेदन किया। उसी वर्ष जीडीए ने अमित सुंदरा के नाम फ्री होल्ड रजिस्ट्री कर दी। हैरान करने वाली बात यह है कि 2009 में उसी प्लॉट की एक और फ्री होल्ड रजिस्ट्री महावीर गोयल के नाम कर दी गई। यानी एक ही प्लॉट दो लोगों को आवंटित कर दिया गया। इस बीच महावीर गोयल ने वहां मकान बना लिया और रहने लगे, जबकि अमित सुंदरा दर-दर भटकते रहे।
Ghaziabad News : कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद बनी जांच समिति
मामला कोर्ट में जाने के बाद, GDA के उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने इस पर संज्ञान लेते हुए 6 सदस्यीय जांच समिति गठित की, जिसकी अध्यक्षता अपर सचिव पीके सिंह ने की। कमिटी ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें सुझाव दिया गया है कि अमित सुंदरा को इंदिरापुरम योजना में ही वैकल्पिक प्लॉट उपलब्ध कराया जाए। मामले में अतुल वत्स ने बताया कि इंदिरापुरम का एक ही भूखंड दो बार आवंटित किए जाने के मामले में कमिटी की रिपोर्ट मिल चुकी है। पीड़ित को उसी योजना में वैकल्पिक भूखंड जल्द दिया जाएगा।”
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