Ghaziabad News : लोगों को जमकर मचाया हल्ला
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने इंदिरापुरम के कनावनी क्षेत्र में मंगलवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए लगभग एक लाख वर्ग मीटर (10 हेक्टेयर) जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराया। इस जमीन की कीमत करीब 800 करोड़ रुपये आंकी गई है। यहां लंबे समय से झुग्गी-झोपड़ियों और अवैध निर्माणों का जाल फैला हुआ था, जिसकी शिकायतें लगातार स्थानीय जनप्रतिनिधियों और पार्षदों द्वारा जीडीए को दी जा रही थीं। जनहित और शहरी नियोजन की दृष्टि से इस बड़ी कार्रवाई को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
Ghaziabad News : जानें क्या हैं पूरी खबर ?
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने बताया कि उन्हें लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि जीडीए की भूमि पर रोहिंग्या और बांग्लादेशी मूल के लोगों द्वारा अवैध रूप से कब्जा किया जा रहा है। ये लोग झुग्गियां बनाकर रहने के साथ-साथ धर्म कांटे और बिल्डिंग मैटिरियल का भी व्यवसाय चला रहे थे। कुछ कब्जेदारों ने तो स्थायी निर्माण भी कर लिया था। शिकायतों की जांच के बाद जब अधिकारियों ने मौके पर जाकर निरीक्षण किया तो पता चला कि जिस जमीन पर कब्जा किया गया है, वह जीडीए द्वारा पूर्व में अधिग्रहित की गई थी। इसके बाद अवैध कब्जा हटाने के लिए एक सुनियोजित योजना बनाई गई, जिसमें दो बटालियन पीएसी और इंदिरापुरम थाना पुलिस की सहायता ली गई।
जमीन को कब्जा मुक्त कराने के बाद जीडीए अब इस क्षेत्र का पुनर्नियोजन करेगा। उपाध्यक्ष वत्स के अनुसार, नियोजन के लिए एक फर्म का चयन किया जाएगा और पहले चरण की प्लानिंग तैयार की जाएगी। योजना के तहत जरूरतमंद लोगों को यहां भूखंड आवंटित किए जाएंगे, जिससे उन्हें दिल्ली के नजदीक एक वैध और सुरक्षित आशियाना मिल सकेगा। साथ ही इस परियोजना से जीडीए को लगभग 800 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जीडीए की अर्जित भूमि पर किसी भी तरह का अवैध कब्जा अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। निकट भविष्य में इस जमीन पर पिलर खड़े कर तारबंदी का कार्य भी किया जाएगा, ताकि दोबारा किसी तरह का कब्जा न हो सके।
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Ghaziabad News : 2012 में पास हुआ था नक्शा
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) में फाइल गुम होने का एक पुराना मामला एक दशक बाद फिर सुर्खियों में है। प्राधिकरण ने अपने ही तीन कर्मचारियों के खिलाफ गंभीर लापरवाही बरतने और दो महत्त्वपूर्ण प्रोजेक्ट की फाइलें गायब करने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया है। रियल एंकर डेवलपर्स के कनावनी और प्रह्लादगढ़ी स्थित प्रोजेक्ट से जुड़ी ये फाइलें वर्ष 2014 में जीडीए से लापता हो गई थीं। लगभग दस वर्षों तक मामले को टालते रहने के बाद नवंबर 2024 में जीडीए ने सिहानी गेट थाने में लिखित शिकायत दी थी, जिस पर अब जाकर सात महीने बाद एफआईआर दर्ज की गई है।
Ghaziabad News : जानें क्या हैं पूरी खबर ?
जानकारी के अनुसार, रियल एंकर डेवलपर्स के दो प्रोजेक्ट्स के नक्शे वर्ष 2012 में जीडीए द्वारा पास किए गए थे। लेकिन 2014 में संबंधित फाइलें जीडीए के रिकॉर्ड से गायब हो गईं। फाइलें ढूंढने के तमाम प्रयासों के बावजूद जब कोई नतीजा नहीं निकला, तब प्राधिकरण को शक हुआ कि यह काम जानबूझकर किया गया है। काफी समय तक मामले को विभागीय स्तर पर ही निपटाने की कोशिश की गई, लेकिन अंततः नवंबर 2024 में इसे पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया। जीडीए ने आरोप लगाया कि फाइल गायब होने में तत्कालीन बाबुओं की मिलीभगत हो सकती है, जिससे रियल एंकर डेवलपर्स को अनुचित लाभ पहुंचाने की आशंका भी जताई जा रही है।
अब सिहानी गेट थाने में जीडीए के तीन लिपिक—कृष्णकांत, वेद त्यागी और नवीन चंद्र के खिलाफ आईपीसी की संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया गया है। इन पर फाइलों को जानबूझकर गायब करने और प्राधिकरण की कार्यप्रणाली को प्रभावित करने का आरोप है। हालांकि पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन एफआईआर में हुई सात महीने की देरी से पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं। यह मामला जीडीए की आंतरिक कार्यप्रणाली में पारदर्शिता की कमी और लापरवाही को उजागर करता है। अब देखना यह है कि जांच में क्या खुलासे होते हैं और दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है।
