Ghaziabad News : 2012 में पास हुआ था नक्शा
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) में फाइल गुम होने का एक पुराना मामला एक दशक बाद फिर सुर्खियों में है। प्राधिकरण ने अपने ही तीन कर्मचारियों के खिलाफ गंभीर लापरवाही बरतने और दो महत्त्वपूर्ण प्रोजेक्ट की फाइलें गायब करने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया है। रियल एंकर डेवलपर्स के कनावनी और प्रह्लादगढ़ी स्थित प्रोजेक्ट से जुड़ी ये फाइलें वर्ष 2014 में जीडीए से लापता हो गई थीं। लगभग दस वर्षों तक मामले को टालते रहने के बाद नवंबर 2024 में जीडीए ने सिहानी गेट थाने में लिखित शिकायत दी थी, जिस पर अब जाकर सात महीने बाद एफआईआर दर्ज की गई है।
Ghaziabad News : जानें क्या हैं पूरी खबर ?
जानकारी के अनुसार, रियल एंकर डेवलपर्स के दो प्रोजेक्ट्स के नक्शे वर्ष 2012 में जीडीए द्वारा पास किए गए थे। लेकिन 2014 में संबंधित फाइलें जीडीए के रिकॉर्ड से गायब हो गईं। फाइलें ढूंढने के तमाम प्रयासों के बावजूद जब कोई नतीजा नहीं निकला, तब प्राधिकरण को शक हुआ कि यह काम जानबूझकर किया गया है। काफी समय तक मामले को विभागीय स्तर पर ही निपटाने की कोशिश की गई, लेकिन अंततः नवंबर 2024 में इसे पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया। जीडीए ने आरोप लगाया कि फाइल गायब होने में तत्कालीन बाबुओं की मिलीभगत हो सकती है, जिससे रियल एंकर डेवलपर्स को अनुचित लाभ पहुंचाने की आशंका भी जताई जा रही है।
अब सिहानी गेट थाने में जीडीए के तीन लिपिक—कृष्णकांत, वेद त्यागी और नवीन चंद्र के खिलाफ आईपीसी की संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया गया है। इन पर फाइलों को जानबूझकर गायब करने और प्राधिकरण की कार्यप्रणाली को प्रभावित करने का आरोप है। हालांकि पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन एफआईआर में हुई सात महीने की देरी से पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं। यह मामला जीडीए की आंतरिक कार्यप्रणाली में पारदर्शिता की कमी और लापरवाही को उजागर करता है। अब देखना यह है कि जांच में क्या खुलासे होते हैं और दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है।
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गाज़ियाबाद के इंदिरापुरम क्षेत्र में अवैध निर्माण को लेकर एक बड़ा मामला सामने आया है, जहां आवास एवं विकास परिषद के अधिकारियों की तहरीर पर पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। आरोपियों में एक महिला भी शामिल है। इन सभी पर स्वीकृत मानचित्र के विरुद्ध भवन निर्माण कराने का आरोप है। अधिकारियों ने बताया कि यह निर्माण कार्य विभाग की अनुमति के विपरीत किया जा रहा था, जिससे नियोजन व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ रहा था। पहले विभाग ने इन निर्माणों को सील भी किया था, लेकिन इसके बावजूद निर्माण गतिविधियां जारी रहीं।
Ghaziabad News : जानें क्या हैं पूरा मामला ?
जानकारी के अनुसार, अवर अभियंता प्रभाकर झा ने सेक्टर पांच निवासी शुभलता के खिलाफ शिकायत दी थी, जिस पर पुलिस ने संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। वहीं दूसरी शिकायत अवर अभियंता रामकृष्ण गुप्ता की ओर से दी गई, जिसमें सेक्टर तीन के निवासी अरुण प्रताप सिंह, मालिनी जैन और टिंकू चौधरी को आरोपी बनाया गया है। इन तीनों पर बिना अनुमति के निर्माण कार्य कराने और विभागीय नियमों की अवहेलना करने का आरोप है। शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि इन लोगों को पहले विभागीय नोटिस दिए गए थे, इसके बावजूद उन्होंने अवैध निर्माण कार्य नहीं रोका।
इंदिरापुरम के एसीपी अभिषेक श्रीवास्तव ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि सभी आरोपी स्वीकृत मानचित्र के विपरीत निर्माण कार्य करवा रहे थे। विभागीय टीम ने समय-समय पर मौके पर जाकर स्थिति का निरीक्षण किया था और निर्माण को सील करने की कार्रवाई भी की थी। एसीपी ने यह भी कहा कि फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है और दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस मामले ने इंदिरापुरम क्षेत्र में अवैध निर्माण की बढ़ती प्रवृत्ति को उजागर कर दिया है, जिससे शहरी विकास और नियोजन व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
