Girl beaten by Principal : प्रिंसिपल ने छात्रा को पीटा
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले से एक चिंताजनक मामला सामने आया है, जिसमें 8 वर्षीय तीसरी कक्षा की छात्रा को स्कूल की प्रिंसिपल द्वारा की गई पिटाई के कारण बाईं आंख की रोशनी खोनी पड़ी। इस घटना ने न केवल परिवार में आक्रोश और दुख की लहर दौड़ा दी , बल्कि शिक्षा व्यवस्था में अनुशासन और विद्यार्थियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर प्रश्न भी खड़े कर दिए हैं।
Girl beaten by Principal : क्या हैं मामला ?
इस मामले में पीड़ित छात्रा की मां ज्योति कश्यप ने मुरादाबाद जिलाधिकारी अनुज सिंह को एक लिखित आवेदन के जरिए शिकायत दर्ज कराई है। आवेदन में उन्होंने बताया कि लगभग एक महीने पहले स्कूल में किसी बात पर प्रिंसिपल ने बेरहमी से उनकी 8 वर्षीय बेटी को पीटा था। इस हिंसात्मक घटना के परिणामस्वरूप छात्रा की बाईं आंख की रोशनी प्रभावित हो गई है। ज्योति कश्यप ने प्रिंसिपल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए साथ ही अपने बेटी के इलाज में मदद की भी अपील की है।
मुरादाबाद के बेसिक शिक्षा अधिकारी विमलेश कुमार ने बताया कि एक प्रार्थना पत्र प्राप्त हुआ था, जिसमें बताया गया था कि एक छात्रा की टीचर द्वारा पिटाई के चलते उसकी आंख की रोशनी चली गई है। इस मामले की जांच वर्तमान में खंड शिक्षा अधिकारी को सौंपी गई है। अधिकारियों ने कहा है कि जांच पूरी होने के बाद प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी संबंधित पक्षों से पूछताछ शुरू कर दी है।
मामले में डॉक्टर पीके पांडे ने बताया कि पीड़ित छात्रा के मामले में डॉक्टरों को शक हुआ है कि चोट लगने के कारण कॉर्निया में अल्सर विकसित हो गया है। उन्होंने सुझाव दिया कि मरीज का अल्ट्रासाउंड करवाना अनिवार्य है ताकि चोट की गंभीरता का सही आकलन किया जा सके। यदि जांच में यह पाया जाता है कि आंख का पर्दा गंभीर रूप से डैमेज हो चुका है, तो एमएस में ऑपरेशन की आवश्यकता पड़ सकती है। ऑपरेशन की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि रेटिना कितना स्वस्थ है और उसकी कार्यप्रणाली कैसी बनी हुई है।
इस घटना ने शिक्षा व्यवस्था में विद्यार्थियों के प्रति सुरक्षा और व्यवहारिक मानकों पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। ऐसे मामलों से न केवल पीड़ित परिवार प्रभावित होते हैं, बल्कि पूरे समाज में शिक्षा के प्रति विश्वास में कमी आ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्कूल प्रशासन को विद्यार्थियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और ऐसे हिंसात्मक कृत्यों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए। साथ ही, उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई न केवल पीड़ित के न्याय में सहायक होगी, बल्कि अन्य छात्रों के हित में भी एक मजबूत संदेश प्रदान करेगी।
