Action on Ansal : सीएम योगी ने बुलाई बैठक
उत्तर प्रदेश सरकार ने अंसल प्रॉपर्टी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर (अंसल एपीआई) के दिवालिया घोषित होने के बाद त्वरित कार्रवाई का निर्णय लिया है। हजारों निवेशकों की गाढ़ी कमाई डूबने की आशंका के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए आवास विभाग और लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के अधिकारियों को तलब किया। उन्होंने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया कि खरीदारों के हितों की रक्षा सुनिश्चित की जाए और अंसल ग्रुप के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाए। साथ ही, प्रदेश के अन्य जिलों में जहां-जहां अंसल ग्रुप के खिलाफ शिकायतें हैं, वहां भी एफआईआर दर्ज कराई जाए। सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस बैठक की जानकारी अपने एक्स अकाउंट @myogioffice पर शेयर की हैं।
Action on Ansal : कैसे सामने आया घोटाला और आगे की कार्रवाई
अंसल एपीआई को पिछले महीने एनसीएलटी द्वारा दिवालिया घोषित कर दिया गया था। कंपनी के लखनऊ, नोएडा और अन्य शहरों में स्थित निवेश और संपत्तियों को नियंत्रित करने के लिए समाधान पेशेवर (अंतरिम समाधान पेशेवर – प्रतिनिधि)) की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अंसल ग्रुप पर आरोप है कि उसने हजारों खरीदारों से प्लॉट और फ्लैट के नाम पर करोड़ों रुपये लिए, लेकिन वादा किए गए प्रोजेक्ट पूरे नहीं किए। खासकर लखनऊ की हाईटेक टाउनशिप योजना में, जहां निवेशकों ने प्लॉट खरीदे थे, वहां जमीन की अनुपलब्धता की शिकायतें सामने आई हैं। एलडीए के अनुसार, अंसल ग्रुप पर सरकारी जमीनों को अवैध रूप से बेचने के भी गंभीर आरोप हैं।
इसके चलते सरकार अब इन मामलों की जांच कर रही है और जल्द ही ठोस कदम उठाए जाएंगे। वर्ष 2005 में हाईटेक टाउनशिप योजना के तहत अंसल को तत्कालीन सरकार द्वारा लाइसेंस प्रदान किया गया था, लेकिन एलडीए ने स्पष्ट किया है कि यह लाइसेंस उसकी ओर से जारी नहीं किया गया था । सरोजनीनगर से भाजपा विधायक राजेश्वर सिंह ने भी अंसल आवासीय समिति के सदस्यों के साथ मुख्यमंत्री से मुलाकात कर इस मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग की थी। सरकार अब यह सुनिश्चित करने में जुटी है कि निवेशकों को उनका हक मिले और दोषियों को कानून के तहत कठोरतम सजा दी जाए।
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि अंसल ग्रुप ने निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की है, जिसे सरकार बिल्कुल भी सहन नहीं करेगी। उन्होंने एलडीए और आवास विभाग को खरीदारों की एक समिति गठित करने का आदेश दिया, ताकि न्यायालय में मजबूत साक्ष्य प्रस्तुत किए जा सकें। इससे अंसल ग्रुप के खिलाफ मुकदमा प्रभावी तरीके से लड़ा जा सकेगा और निवेशकों को न्याय दिलाया जा सकेगा।
मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) द्वारा दिए गए आदेश पर नाराजगी जताई, क्योंकि इस फैसले में एलडीए और आवास विभाग को बिना किसी पूर्व सूचना के एकपक्षीय रूप से शामिल कर लिया गया था। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस फैसले के खिलाफ अपील दायर की जाए, ताकि सरकारी हितों और आम जनता के अधिकारों की रक्षा की जा सके।
एलडीए उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने बैठक के तुरंत बाद पत्रकार वार्ता में बताया कि अंसल ग्रुप पर लखनऊ विकास प्राधिकरण का 400 करोड़ रुपये से अधिक बकाया है। इसके अलावा, अंसल ग्रुप पर सरकारी जमीनों की अवैध बिक्री और अनियमितताओं के भी आरोप हैं। इन सभी मामलों की गहराई से जांच की जाएगी और यदि किसी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी की संलिप्तता पाई जाती है, तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होगी।
