Rajya Sabha News : गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि देश की आजादी के बाद देश की सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए जिन जवानों ने सर्वोच्च बलिदान दिया है, उनको मैं श्रद्धांजलि देता हूं। शहीदों के परिवारों को भी धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने अपने बेटों को देश की सुरक्षा के लिए भेजा। गृह मंत्रालय बहुत विषम परिस्थितियों में काम करता है। सरहदी सुरक्षा और आतंरिक सुरक्षा गृह मंत्रालय में आती है। मगर कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी जब राज्यों की होती है तो अब ऐसी परिस्थिति खड़ी होती है, कई मामले में केवल राज्यों की सीमा तक सीमित नहीं होते हैं।
Rajya Sabha News : पीएम मोदी ने देश को मजबूत किया
आगे अमित शाह ने कहा कि कई अपराध ऐसे होते हैं, जो देश की सीमा के बाहर भी हमारे देश के खिलाफ होते हैं। इसको देखते हुए गृह मंत्रालय में परिवर्तन भी जरूरी होते हैं। मैं धन्यवाद देता हूं पीएम मोदी को जिन्होंने परिवर्तन करके देश को मजबूत किया है। जब गृह मंत्रालय की चर्चा होती है तब देश में 2014 के पहले से कई सारे मुद्दे थे, जो मोदी सरकार को मिले। इस देश का विकास तीन समस्याओं की वजह से रुका था। ये नासूर थे, जो देश की शांति में खलल डाल रहे थे। जम्मू कश्मीर की समस्या (आतंकवाद), वामपंथी उग्रवाद और तीसरी समस्या थी नॉर्थ ईस्ट का उग्रवाद। इन समस्याओं के कारण चार दशक में देश के लगभग 92 हजार नागरिक मारे गए। कश्मीर में पड़ोसी देश से आए दिन आतंकी घुसते थे, हमले करते थे। एक भी त्योहार ऐसा नहीं होता था जो चिंता के बिना गुजरा हो। पहले की सरकारें चुप्पी साध जाती थीं। मगर, मोदी सरकार में आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के साथ काम हुआ।
Rajya Sabha News : आतंकवादियों के रिश्तेदार उठाते थे सरकारी सुविधाओं का लाभ
उन्होंने कहा कि हमारे सत्ता में आने के बाद उड़ी और पुलवामा में हमले भी हुए, लेकिन हम चुप रहने वालों में नहीं थे। हमने दस ही दिन में पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्टाइक की। पूरी दुनिया में दो ही देश (इजराइल और अमेरिका) ऐसे थे जो अपनी सीमा और सेना के लिए हर स्तर पर तत्पर रहते थे। इस लिस्ट में भारत का नाम जुड़ा है। ये पीएम मोदी के नेतृत्व में हुआ है। अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर के युवाओं ने आतंकवाद की ओर न जाने का फैसला लिया है। दस साल पहले आतंकवादियों का महिमामंडन आम बात थी और उनके जनाजे निकाले जाते थे। मगर, अब जब आतंकवादी मारे जाते हैं तो उन्हें वहीं दफना दिया जाता है। आतंकवादियों के रिश्तेदार जो कभी सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाते थे, उन्हें सरकारी पदों से हटा दिया गया है, ताकि कड़ा संदेश दिया जा सके।
