Ghaziabad News: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने गाजियाबाद ज़िले के जिलाधिकारी (DM) को निर्देश दिया है कि वे विजय नगर निवासी प्रेमचंद के अनुसूचित जाति (SC) प्रमाणपत्र की वैधता की जांच करें। प्रेमचंद को हाल ही में धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था। आयोग ने यह आदेश संविधान के अनुसूचित जाति संबंधी प्रावधानों के संभावित उल्लंघन को देखते हुए दिया है। आपको बता दें की प्रेमचंद को 15 जून को क्रासिंग रिपब्लिक पुलिस ने विजय नगर क्षेत्र से गिरफ़्तार किया था। उनके साथ केरल निवासी एक पादरी विनोद मोहन कुंज भी पुलिस गिरफ्त में आया था। हिंदू संगठनों की शिकायत पर यह कार्रवाई की गई थी। शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि ये दोनों व्यक्ति कई वर्षों से ‘प्रार्थना सभा’ के नाम पर धर्मांतरण गतिविधियां चला रहे थे।
धर्म बदलने के बाद भी ली जा रही है सरकारी सुविधा
Ghaziabad News: शिकायत अग्नि समाज संगठन और दलित अधिकार कार्यकर्ता भूपेंद्र सिंह जाटव ने संयुक्त रूप से दर्ज कराई थी। शिकायत में प्रेमचंद के घर के बाहर लगे क्रॉस चिन्ह की तस्वीरें, पड़ोसियों की गवाही और यह भी जानकारी दी गई कि प्रेमचंद का घर क्षेत्र में ‘चर्च’ के रूप में जाना जाता था, जहां हर रविवार 30-35 लोग एकत्र होते थे। शिकायत के अनुसार, प्रेमचंद ने ईसाई धर्म अपना लिया है, लेकिन इसके बावजूद वह अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र के माध्यम से सरकारी सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। संविधान के अनुसूचित जाति आदेश के अनुसार, केवल हिंदू, सिख और बौद्ध धर्म के अनुयायियों को ही अनुसूचित जाति की मान्यता दी जा सकती है। ऐसे में प्रेमचंद का SC प्रमाणपत्र कथित तौर पर अवैध माना जा सकता है। आपको बता दें की अग्नि समाज की संचालिका स्वाति गोयल शर्मा ने कहा, “धर्म परिवर्तन कर चुके व्यक्ति यदि अब भी अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र के आधार पर सरकारी लाभ ले रहे हैं, तो यह संविधान का खुला उल्लंघन है।” अब NHRC ने जिलाधिकारी को निर्देश दिया है कि प्रेमचंद और उनके परिवार के SC प्रमाणपत्रों की वैधता की 15 दिनों के भीतर जांच कर रिपोर्ट (Action Taken Report) प्रस्तुत करें। आयोग की यह पहल धर्मांतरण और सामाजिक न्याय के संदर्भ में एक अहम घटनाक्रम मानी जा रही है।
