Mahakumbh 2025 : उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज सोमवार को कन्नौज के समधन कस्बे में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि यूपी के मुख्यमंत्री सोशल मीडिया पर बैठकर रील देखते रहते हैं। यह डबल इंजन की नहीं, बल्कि डबल ब्लंडर की सरकार है। न लखनऊ की सरकार कुछ देख पा रही है और न दिल्ली की। दरअसल, अखिलेश यादव मंगलवार को दिवंगत पूर्व चेयरमैन हाजी हसन सिद्दीकी के आवास समधन पर शोक संवेदना व्यक्त करने गए थे। उन्होंने परिजनों से मुलाकात कर उन्हें सांत्वना दी। इसके बाद अखिलेश यादव कन्नौज पहुंचे। जहां सपा नेता आकाश शाक्य के आवास पर आयोजित पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल हुए।
Mahakumbh 2025 : महा-प्रचार के लिए किए गए इंतजाम
अखिलेश ने कानपुर में पान मसाला कारोबारी पर पड़े छापे का मुद्दाते हुए कहा कि जब नागरिक हथकड़ियों में जकड़े जाएंगे, तो बाजार और व्यापार में क्या ताकत रह जाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत सरकार बाजार दूसरों को दे रही है और कारोबार बढ़ाने में रुचि नहीं ले रही। जिस कुंभ की तैयारी भव्य स्तर पर होनी चाहिए थी, उसका नाम तो ‘महा-कुंभ’ रख दिया गया, लेकिन इंतजाम महा-प्रचार के लिए किए गए। सरकार ने दावा किया कि 100 करोड़ श्रद्धालु भी आएं तो उनके लिए व्यवस्थाएं पूरी रहेंगी, लेकिन व्यवस्थाओं के बजाय इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों और सोशल मीडिया पर प्रचार को तवज्जो दी गई। बड़े-बड़े चेहरे बुलाए गए, इंस्टाग्राम रील्स बनीं, लेकिन आम श्रद्धालुओं की परेशानी और अव्यवस्थाओं की गूंज अब सुनाई देने लगी है।
प्रयागराज की धरती पर कुंभ का आयोजन सम्राट हर्षवर्धन के समय से होता आ रहा है, लेकिन भाजपा इसे ‘पहली बार’ का आयोजन बताकर नया इतिहास लिखने में जुटी है। सरकार के 144 साल में एक बार होने वाले कुंभ के दावे पर सवाल उठ रहे हैं। ज्योतिष और खगोल विज्ञान की मानें तो 12 साल में एक बार कुंभ होता है, फिर ये 144 साल का आंकड़ा कहां से आया। श्रद्धालुओं की आस्था महाकुंभ में उमड़ पड़ी। अब तक 65-70 करोड़ लोग संगम में स्नान कर चुके हैं, लेकिन बुजुर्ग और दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालु अब भी इंतजार में हैं। सरकार को चाहिए कि आयोजन की अवधि बढ़ाए, लेकिन सरकार अभी तक यात्रियों की वास्तविक संख्या छिपाने में लगी है।
Mahakumbh 2025 : थानों से लोगों को भगा दिया जा रहा
भीड़ नियंत्रण में नाकाम सरकार की भगदड़ से कई लोगों की जान गई। लेकिन सरकार सिर्फ डुबकी लगाने वालों की मौतें गिन रही है, भगदड़ में जान गंवाने वालों की सही गिनती अब तक नहीं आई। कई लोग लापता हैं, लेकिन उनके परिवार जब जानकारी के लिए थानों में जाते हैं, तो उन्हें वहां से भगा दिया जाता है। दिल्ली रेलवे स्टेशन हादसे में भी सरकार की नाकामी खुलकर सामने आई। बड़ी संख्या में लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, लेकिन अब तक सरकार इनकी सही संख्या बताने से बच रही है।
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