Mahakhumbh 2025 : वैज्ञानिक ने गंगा जल की शुद्धता पर दिया जवाब
महाकुंभ में गंगा जल की शुद्धता को लेकर उठ रहे सवालों के बीच पद्मश्री नामित वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार सोनकर ने अपने शोध में इसे अल्कलाइन वाटर जितना शुद्ध बताया है। उन्होंने प्रयागराज के संगम, अरैल समेत पांच घाटों से गंगा जल के नमूने लेकर अपनी नैनी स्थित प्रयोगशाला में परीक्षण किया। शोध के अनुसार, लाखों श्रद्धालुओं के स्नान के बावजूद जल में हानिकारक बैक्टीरिया की वृद्धि नहीं हुई, और इसका पीएच स्तर 8.4 से 8.6 तक पाया गया, जो इसे स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक बनाता है।
Mahakhumbh 2025 : क्या हैं मामला ?
डॉ. सोनकर के अनुसार, गंगा जल की स्वच्छता का प्रमुख कारण उसमें मौजूद 1100 प्रकार के बैक्टीरियोफेज हैं, जो हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं। प्रयोगशाला में 14 घंटे तक इंक्यूबेशन तापमान पर रखे जाने के बाद भी जल में किसी प्रकार की बैक्टीरियल ग्रोथ नहीं देखी गई। उन्होंने गंगा जल पर संदेह करने वालों को चुनौती देते हुए कहा कि वे स्वयं जल के नमूने लाकर उनकी प्रयोगशाला में परीक्षण कर सकते हैं और इसकी शुद्धता को परख सकते हैं।
विभिन्न संस्थाओं द्वारा गंगा जल को अशुद्ध बताने के दावों को खारिज करते हुए डॉ. सोनकर ने कहा कि जल में कोई दुर्गंध या अम्लीयता नहीं है, बल्कि यह त्वचा संबंधी रोगों से बचाव में सहायक हो सकता है। कृत्रिम मोती उत्पादन में क्रांतिकारी शोध करने वाले इस वैज्ञानिक ने मिसाइल मैन डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के साथ भी वैज्ञानिक विमर्श किया है। उनके शोध ने यह साबित किया है कि गंगा जल स्नान योग्य ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।
