Ghaziabad News: न्याय प्रणाली में जेल का उद्देश्य केवल सजा नहीं, बल्कि अपराधी का सुधार भी माना जाता है। जेलों को सुधारगृह कहा जाता है, जहां कठोर अनुशासन, सामाजिक दूरी और एकांत से अपराधी को आत्मचिंतन का अवसर मिलता है, ताकि वह अपने अपराध पर पश्चाताप कर एक बेहतर नागरिक बन सके। मगर हाल के दिनों में घटित घटनाएं इस सोच पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर रही हैं।
जेल से छूटते ही हत्या
Ghaziabad News: 9 जून की रात देहदा गांव में घटी एक जघन्य घटना में युवक पंकज और उसकी रिश्तेदार गुड्डी की घर में घुसकर बेरहमी से हत्या कर दी गई। हत्या का आरोप प्रशांत उर्फ कबूतर पर है, जो महज 15 दिन पहले ही जेल से जमानत पर रिहा हुआ था। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, जेल में रहते हुए भी आरोपी के अंदर अपराध के प्रति कोई ग्लानि नहीं थी, बल्कि बाहर आकर उसने पहले से भी खतरनाक योजना रच डाली।
दुष्कर्म का दोषी बना हत्यारा
Ghaziabad News: इसी तरह बृहस्पतिवार रात थाना परिसर के सामने युवक की गोली मारकर हत्या करने वाला मोंटी पहले से ही एक नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में दोषी ठहराया जा चुका था। कोर्ट से सजा मिलने के बाद वह कई साल जेल में रहा, लेकिन नवंबर 2023 में उच्च न्यायालय के आदेश पर रिहा हुआ। बाहर आते ही उसने फिर से खून-खराबे की वारदात को अंजाम दिया।
जमानत पर छूटे आरोपितों का आतंक
Ghaziabad News: यह सिर्फ दो घटनाएं नहीं, बल्कि एक खतरनाक प्रवृत्ति की तरफ इशारा करती हैं। आए दिन सामने आ रहे मामलों में देखा गया है कि हत्या, बलात्कार और अपहरण जैसे गंभीर मामलों में जेल से छूटे अपराधी पीड़ित पक्ष को धमकाते हैं, गवाहों पर दबाव बनाते हैं और यहां तक कि जानलेवा हमले भी करते हैं।
