Iran Reply On America Attack : अमेरिका की पांच बड़ी गलतियां गिनाई
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में इस बार असाधारण रूप से तनावपूर्ण माहौल देखने को मिला, जब ईरान के स्थायी प्रतिनिधि आमिर सईद इरावानी ने अमेरिका के खिलाफ तीखा हमला बोला। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अब ईरान अमेरिका को हर हाल में जवाब देगा। उनका बयान अमेरिकी बंकर बस्टर बम से ईरानी न्यूक्लियर साइट पर हुए हमले के बाद आया है। इस हमले के बाद दुनियाभर में यह सवाल उठने लगे थे कि क्या ईरान अमेरिका पर पलटवार करेगा। अब इरावानी के बयान से यह लगभग तय हो गया है कि ईरान इस बार पीछे हटने के मूड में नहीं है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका पर हमले के पांच बड़े कारण भी गिनवाए और इसे ईरान की संप्रभुता पर सीधा हमला बताया।
Iran Reply On America Attack : जानें क्या हैं पूरा मामला ?
इरावानी ने यूएन में दिए अपने भाषण में कहा कि अमेरिका ने एक शांतिपूर्ण देश की संप्रभुता का उल्लंघन किया है। उन्होंने बताया कि ईरान परमाणु प्रसार संधि का पालन कर रहा था, फिर भी अमेरिका ने बिना किसी वैध कारण के हमला किया। दूसरा कारण बताते हुए उन्होंने अमेरिका पर मिडिल ईस्ट में आतंकवाद को बढ़ावा देने और गाजा में इजरायली हमलों पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया। तीसरा कारण यह बताया गया कि ओमान के मस्कट में 16 जून को अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु वार्ता होनी थी, लेकिन उससे दो दिन पहले 13 जून को ही इजरायल ने ईरानी ठिकानों पर हमला कर दिया, जिससे शांति प्रक्रिया पर असर पड़ा। चौथे कारण के रूप में इरावानी ने कासिम सुलेमानी की हत्या को उठाया और कहा कि एक सैन्य अधिकारी की हत्या अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है। पांचवां और अंतिम कारण यह था कि अमेरिका ने ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघाची की यूरोपीय देशों से चल रही शांति वार्ता को देखते हुए जानबूझकर हमला किया, जो स्वीकार्य नहीं है।
ईरान के इस सख्त रुख को अब कई देशों का समर्थन भी मिलने लगा है। रूस और चीन ने पहले ही अमेरिका की कार्रवाई की आलोचना की थी, लेकिन अब पाकिस्तान और नॉर्थ कोरिया भी ईरान के समर्थन में खुलकर सामने आ गए हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इसे एक स्वतंत्र राष्ट्र की संप्रभुता पर हमला बताया और इस हमले की कड़ी निंदा की। वहीं, नॉर्थ कोरिया ने भी अमेरिका के खिलाफ कड़ा बयान जारी करते हुए कहा कि यह कदम वैश्विक शांति के लिए खतरा है। ऐसे में अब यह मामला केवल अमेरिका और ईरान तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बड़े टकराव की आशंका को जन्म दे रहा है, जिसकी गूंज आने वाले समय में और तेज हो सकती है।
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