Iran-Israel War News : न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में हुआ यह बड़ा खुलासा
पिछले 8 दिनों से इज़रायल और ईरान के बीच भीषण युद्ध जारी है। दोनों देशों के बीच मिसाइलों, ड्रोन और फाइटर जेट्स के ज़रिए लगातार हमले हो रहे हैं। इस युद्ध ने पूरे मध्य पूर्व में तनाव बढ़ा दिया है और वैश्विक शक्ति संतुलन पर भी असर डालने लगा है। आमतौर पर मिसाइल हमलों को रोकने में इज़रायल का आयरन डोम (Iron Dome) सिस्टम बेहद प्रभावी माना जाता है, लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि अगर इज़रायल के पास इतनी उन्नत मिसाइल रक्षा प्रणाली है, तो वह ईरान की सभी मिसाइलों को इंटरसेप्ट क्यों नहीं कर पा रहा? इस सवाल का जवाब चौंकाने वाला है। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इज़रायल जानबूझकर हर मिसाइल को नहीं रोक रहा, बल्कि इसके पीछे एक रणनीतिक सोच और सैन्य विवेक है, जो इस युद्ध के दीर्घकालिक स्वरूप को समझने में मदद करता है।
Iran-Israel War News : जानें क्या हैं ईज़राइल की रणनीति के पीछे की वजह ?
दरअसल, इज़रायल की रणनीति अपने इंटरसेप्टर मिसाइलों का सोच-समझकर उपयोग करने की है। इज़रायल के पास आयरन डोम, डेविड्स स्लिंग (David’s Sling), ऐरो-2 और ऐरो-3 जैसे शक्तिशाली एयर डिफेंस सिस्टम हैं। ये सिस्टम अलग-अलग दूरी की मिसाइलों को रोकने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। हालांकि, इन इंटरसेप्टर्स की लागत बहुत अधिक होती है और इनका उत्पादन सीमित होता है। अब जब ईरान की ओर से 400 से ज्यादा मिसाइलें दागी जा चुकी हैं और करीब 40 मिसाइलें इज़रायल की सुरक्षा परत को पार कर चुकी हैं, तो इज़रायल को अपने संसाधनों को बचाकर इस्तेमाल करना पड़ रहा है। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि घनी आबादी वाले इलाकों और सामरिक महत्व के स्थानों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। जैसे कि यदि कोई मिसाइल तेल अवीव या हाइफ़ा जैसे शहर की ओर बढ़ रही है, तो उसे रोका जाएगा, लेकिन अगर वही मिसाइल रेगिस्तान या खुले इलाके की ओर है, तो उसे इंटरसेप्ट नहीं किया जाएगा।
इसके पीछे एक और बड़ी वजह है – इंटरसेप्टर मिसाइलों की सीमित संख्या। इज़रायली सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, ईरान ने युद्ध की शुरुआत में करीब 2,000 बैलिस्टिक मिसाइलों का स्टॉक तैयार किया था, जिनमें से लगभग आधी या तो दागी जा चुकी हैं या फिर इज़रायली हमलों में नष्ट हो गई हैं। वहीं, इज़रायल ने भी सैकड़ों इंटरसेप्टर मिसाइलों का उपयोग कर डाला है, लेकिन कितनी संख्या में अभी भी उपलब्ध हैं, इस पर कोई सार्वजनिक जानकारी नहीं दी गई है। चिंता की बात यह है कि अगर युद्ध लंबा खिंचता है, तो कहीं ऐसा न हो कि ईरान की मिसाइलें बची रह जाएं और इज़रायल के पास उन्हें रोकने के लिए इंटरसेप्टर खत्म हो जाएं। यही वजह है कि इज़रायल अब हर मिसाइल पर इंटरसेप्टर बर्बाद नहीं कर रहा, बल्कि वह लक्ष्य की गंभीरता और स्थान की रणनीतिक अहमियत के आधार पर निर्णय ले रहा है।
इज़रायल की बहु-स्तरीय रक्षा प्रणाली दुनिया की सबसे उन्नत प्रणाली मानी जाती है। Iron Dome कम दूरी के रॉकेटों को रोकने के लिए है, David’s Sling मध्यम दूरी के लिए, जबकि Arrow-2 और Arrow-3 लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को निशाना बनाते हैं। साथ ही Iron Beam नाम की लेज़र आधारित डिफेंस प्रणाली भी विकासाधीन है, जो भविष्य में क्रांतिकारी साबित हो सकती है। Iron Dome को 2011 में तैनात किया गया था और यह तब से हमास व हिज़बुल्ला जैसे संगठनों के रॉकेट हमलों से देश की रक्षा करता आ रहा है। इसे इज़रायली कंपनी Rafael Advanced Defense Systems द्वारा विकसित किया गया है, और इसमें अमेरिका का तकनीकी व आर्थिक सहयोग भी है। फिलहाल, इज़रायल की यही रणनीति है कि वह ईरान की हर मिसाइल पर रिएक्ट करने की बजाय, सोच-समझकर महत्वपूर्ण ठिकानों की रक्षा करे। युद्ध की दिशा इस बात पर निर्भर करेगी कि ईरान के पास और कितनी लंबी दूरी की मिसाइलें शेष हैं और अमेरिका कब और कैसे हस्तक्षेप करता है। हालांकि, अगर इज़रायल को इंटरसेप्टर की भरपाई समय रहते नहीं हो पाई, तो यह युद्ध और अधिक जटिल और घातक रूप ले सकता है।
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