Iran-Israel War : अमेरिका पर रुस ने किया जुबानी पलटवार
मध्य-पूर्व में जारी ईरान और इजराइल के बीच तनावपूर्ण युद्ध अब एक नए मोड़ पर पहुंचता नजर आ रहा है। मिसाइल और ड्रोन हमलों के बीच अब इस बात की पूरी संभावना जताई जा रही है कि अमेरिका भी इस युद्ध में शामिल हो सकता है। व्हाइट हाउस ने गुरुवार को साफ किया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आगामी दो हफ्तों के भीतर यह तय करेंगे कि अमेरिका इस संघर्ष का हिस्सा बनेगा या नहीं। ट्रंप इस पूरे घटनाक्रम पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं और यह युद्ध अब वैश्विक स्तर पर एक बड़े संकट का रूप लेता जा रहा है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि यह निर्णय इस बात पर निर्भर करेगा कि ईरान परमाणु हथियारों की दिशा में अपने प्रयासों से पीछे हटता है या नहीं।
Iran-Israel War : युद्ध के विश्व युद्ध में बदलने के आसार
गौरतलब है कि इस युद्ध की शुरुआत इजराइल ने की थी, जब उसने पिछले शुक्रवार को ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर मिसाइलें दागीं। इसके बाद से दोनों देशों के बीच युद्ध तेजी से बढ़ा है और एक-दूसरे पर भारी हमले किए जा रहे हैं। ईरान ने इजराइल के तेल अवीव और सोरोका अस्पताल पर मिसाइल हमले कर तबाही मचाई, जबकि इजराइल ने लगातार जवाबी कार्रवाई करते हुए कहा कि यह युद्ध तब तक जारी रहेगा जब तक ईरान परमाणु हथियारों का निर्माण बंद नहीं करता। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गुरुवार को कहा कि इजराइल इस युद्ध के ज़रिए न सिर्फ मध्य-पूर्व, बल्कि दुनिया का चेहरा बदलने जा रहा है। वहीं, रक्षा मंत्री काट्ज़ ने ईरान पर आरोप लगाया कि खामेनेई सीधे तौर पर नागरिक ठिकानों को निशाना बनाने का आदेश दे रहे हैं और इजराइल को नष्ट करना चाहते हैं।
इस बढ़ते युद्ध के बीच अमेरिका की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। राष्ट्रपति ट्रंप ने सोशल मीडिया पर ईरान को चेतावनी देते हुए सरेंडर की सलाह दी थी, जिस पर ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और चेतावनी दी कि यदि अमेरिका इस युद्ध में शामिल होता है, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। ट्रंप ने यह भी कहा कि वह युद्ध में शामिल हो सकते हैं और नहीं भी—यह आने वाले दिनों में तय होगा। वहीं, रूस ने भी अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि वह इस युद्ध में कूदता है तो यह उसके लिए बेहद खतरनाक कदम होगा। इस समय अमेरिका के सामने ईरान को रोकने और युद्ध में सीधे शामिल होने के बीच संतुलन साधने की चुनौती है। आगामी दो सप्ताहों में ट्रंप का निर्णय मध्य-पूर्व ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की राजनीति को प्रभावित कर सकता है।
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