Ghaziabad News : समय के साथ कमजोर हो गई हैं लोहे के स्काईवाक
फरीदाबाद की एक हाउसिंग सोसाइटी में स्काईवाक से गिरकर एक सेवानिवृत्त बैंक मैनेजर की मौत के बाद गाजियाबाद की वसुंधरा ग्रांड सोसाइटी में भी चिंता का माहौल बन गया है। वसुंधरा सेक्टर 15 स्थित इस सोसाइटी के 27वें माले पर बने दो टावरों को जोड़ने वाले स्काईवाक की सुरक्षा को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। बुधवार को सोसाइटी के निवासियों ने इस स्काईवाक का तत्काल निरीक्षण कर उसे बंद करने की मांग जिलाधिकारी, मुख्यमंत्री, पुलिस आयुक्त और आवास विकास परिषद से की। यह मांग जन सुनवाई पोर्टल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) के माध्यम से की गई।
Ghaziabad News : जानें क्या हैं पूरी खबर ?
जानकारों के अनुसार इस प्रकार के लोहे से बने स्काईवाक समय के साथ जंग लगने से कमजोर हो जाते हैं, जिससे उनकी संरचनात्मक मजबूती पर असर पड़ता है। जंग लगे हुए स्काईवाक पर लोगों के चलने से यह ढह भी सकता है, जिससे गंभीर दुर्घटनाएं हो सकती हैं। इसके अलावा, यदि स्काईवाक की उचित ग्राउंडिंग न की गई हो तो यह बिजली का प्रवाहकीय मार्ग बन सकता है। इस स्थिति में बिजली गिरने या विद्युत संबंधी किसी दोष की स्थिति में वहां चल रहे लोगों को जानलेवा खतरा हो सकता है। इस कारण सोसाइटी के लोगों की चिंता और बढ़ गई है, खासकर तब जब यह स्काईवाक 27वीं मंजिल पर स्थित है और रोजाना कई लोग इसका उपयोग करते हैं।
सोसाइटी निवासियों का कहना है कि उन्होंने पहले भी इस स्काईवाक की संरचनात्मक स्थिति को लेकर सवाल उठाए थे, लेकिन अब जब फरीदाबाद में ऐसी ही एक संरचना में दर्दनाक हादसा हो चुका है, तो अधिकारियों को सतर्क होना चाहिए। निवासियों ने मांग की है कि संबंधित विभाग द्वारा तुरंत स्काईवाक का तकनीकी निरीक्षण कराया जाए और अगर कोई भी खामी पाई जाती है, तो इसे तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए ताकि भविष्य में कोई दुर्घटना न हो। इस मुद्दे ने प्रशासन को एक बार फिर से हाईराइज इमारतों में उपयोग होने वाली संरचनाओं की सुरक्षा पर गंभीरता से सोचने के लिए मजबूर कर दिया है।
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गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने इंदिरापुरम के कनावनी क्षेत्र में मंगलवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए लगभग एक लाख वर्ग मीटर (10 हेक्टेयर) जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराया। इस जमीन की कीमत करीब 800 करोड़ रुपये आंकी गई है। यहां लंबे समय से झुग्गी-झोपड़ियों और अवैध निर्माणों का जाल फैला हुआ था, जिसकी शिकायतें लगातार स्थानीय जनप्रतिनिधियों और पार्षदों द्वारा जीडीए को दी जा रही थीं। जनहित और शहरी नियोजन की दृष्टि से इस बड़ी कार्रवाई को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
Ghaziabad News : जानें क्या हैं पूरी खबर ?
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने बताया कि उन्हें लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि जीडीए की भूमि पर रोहिंग्या और बांग्लादेशी मूल के लोगों द्वारा अवैध रूप से कब्जा किया जा रहा है। ये लोग झुग्गियां बनाकर रहने के साथ-साथ धर्म कांटे और बिल्डिंग मैटिरियल का भी व्यवसाय चला रहे थे। कुछ कब्जेदारों ने तो स्थायी निर्माण भी कर लिया था। शिकायतों की जांच के बाद जब अधिकारियों ने मौके पर जाकर निरीक्षण किया तो पता चला कि जिस जमीन पर कब्जा किया गया है, वह जीडीए द्वारा पूर्व में अधिग्रहित की गई थी। इसके बाद अवैध कब्जा हटाने के लिए एक सुनियोजित योजना बनाई गई, जिसमें दो बटालियन पीएसी और इंदिरापुरम थाना पुलिस की सहायता ली गई।
जमीन को कब्जा मुक्त कराने के बाद जीडीए अब इस क्षेत्र का पुनर्नियोजन करेगा। उपाध्यक्ष वत्स के अनुसार, नियोजन के लिए एक फर्म का चयन किया जाएगा और पहले चरण की प्लानिंग तैयार की जाएगी। योजना के तहत जरूरतमंद लोगों को यहां भूखंड आवंटित किए जाएंगे, जिससे उन्हें दिल्ली के नजदीक एक वैध और सुरक्षित आशियाना मिल सकेगा। साथ ही इस परियोजना से जीडीए को लगभग 800 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जीडीए की अर्जित भूमि पर किसी भी तरह का अवैध कब्जा अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। निकट भविष्य में इस जमीन पर पिलर खड़े कर तारबंदी का कार्य भी किया जाएगा, ताकि दोबारा किसी तरह का कब्जा न हो सके।
