Ghaziabad News : कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ और जनसामान्य से संवाद को सशक्त बनाने की दिशा में गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर जे रविन्दर गौड़ ने बीट प्रणाली (Beat System) को और अधिक व्यवस्थित एवं प्रभावी रूप में लागू किया है। इस नई व्यवस्था के तहत 2096 बीटों का गठन किया गया है, जिनकी जिम्मेदारी 717 बीट उपनिरीक्षकों को सौंपी गई है।
Ghaziabad News : पहले जानें क्या है बीट प्रणाली?
बीट प्रणाली के अंतर्गत किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र को एक पुलिसकर्मी या पुलिस टीम के अधीन किया जाता है, जो वहां नियमित गश्त, निगरानी और जन संवाद का कार्य करती है। यह प्रणाली सामुदायिक पुलिसिंग (Community Policing) का आधार मानी जाती है, जो स्थानीय समस्याओं का त्वरित समाधान और जनता के बीच पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ाने में सहायक होती है।
Ghaziabad News : ये है नई व्यवस्था के मुख्य उद्देश्य
प्रत्येक बीट पर मुख्य आरक्षी/आरक्षी और महिला आरक्षी को बीट पुलिस ऑफिसर (BPO) के रूप में तैनात किया गया है।
बीट उपनिरीक्षक/महिला उपनिरीक्षक की प्रत्यक्ष निगरानी में काम होगा।
हर बीट की जनसंख्या 5000 से अधिक नहीं होगी और उनमें 10–15% महिलाओं का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया है।
थानों में आयोजित होने वाले जनसंपर्क कार्यक्रमों में बीट अधिकारी स्थानीय लोगों से परिचय करेंगे।
Ghaziabad News : कैसी होगी निगरानी व्यवस्था
प्रत्येक बीट पुलिस अधिकारी को बीट बुक दी जाएगी, जिसमें उनके कार्यों, सूचनाओं और कार्रवाइयों का लेखा-जोखा होगा। इस बुक का पर्यवेक्षण सहायक पुलिस आयुक्त द्वारा किया जाएगा और आवश्यक कार्रवाई पुलिस उपायुक्त के माध्यम से सुनिश्चित की जाएगी।
Ghaziabad News : अपराध नियंत्रण और जन सहभागिता पर जोर
बीट अधिकारियों को अपराधियों की निगरानी, जैसे हिस्ट्रीशीटर, जमानत पर छूटे अपराधी, अवैध गतिविधियों, गैंग, घुमंतू जातियों पर नजर रखने की जिम्मेदारी दी गई है। साथ ही, बीट अधिकारी बैंक, एटीएम, पेट्रोल पंप, ज्वैलरी शॉप और जन सुविधा केंद्रों जैसी संवेदनशील जगहों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। जनता से समन्वय बनाए रखने के लिए गणमान्य नागरिकों के साथ संवाद, वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से सूचना आदान-प्रदान और नियमित गश्त की व्यवस्था की गई है। यह मॉडल स्थानीय स्तर पर शांति, सुरक्षा और पारदर्शिता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगा।
आपको बताते चले कि इस नई बीट प्रणाली का उद्देश्य अपराधों की रोकथाम, त्वरित प्रतिक्रिया, और पुलिस-जन संवाद को मजबूती देना है। इससे पुलिस बल की जवाबदेही बढ़ेगी और आमजन में सुरक्षा की भावना और विश्वास भी सशक्त होगा।
