Ghaziabad News: गाजियाबाद जिले का आर.टी.ओ विभाग एक बार फिर सुर्खियों में है। आपको बता दें कि जिले में 58263 व्यावसायिक वाहन हैं, जिनमें से 28112 वाहनों की फिटनेस नहीं कराई गई है। इनमें आम तौर पर वो वाहन जिनके सड़क पर ना चलने से आम जनता और व्यापारियों की निजि जिंदगी पर खासा असर पड़ता है। जैसे ट्रक, कैंटर, सामान्य, स्कूली बस, ई-रिक्शा, ऑटो व अन्य छोटे वाहन । विभाग का दावा है कि फिटनेस खत्म होने पर वाहन स्वामी को नोटिस दिया गया है। यदि बिना फिटनेस के वाहन सड़क पर चलता मिला तो उसको जब्त कर लिया जाएगा।
अधिकारियों की लापरवाही बनी जांच में सुस्ती का कारण
Ghaziabad news: नियमो के अनुसार व्यावसायिक वाहनों की फिटनेस जांच न कराने पर आरटीओ प्रवर्तन वाहन को सीज करने की कार्रवाई करता है। लेकिन अफसरों की लापरवाही की वजह से जिले में नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। हालत यह है कि बीते साल जहां करीब 25 हजार वाहनों की फिटनेस जांच नहीं कराई गई थी। इस साल वो आंकड़ा तीन हजार से बड गया है।आपको बता दें की नए व्यवसायिक वाहन की पहली बार फिटनेस जांच दो साल के लिए होती है। इसके बाद हर साल फिटनेस जांच करानी पड़ती है। इस बारे में आरटीओ केडी गौर ने बताया कि व्यावसायिक वाहनों के खिलाफ लगातार कार्रवाई चल रही है। रोजाना वाहनों को सीज किया जा रहा है। प्रभावी कार्रवाई के लिए अधीनस्थों के साथ बैठक भी की गई है।
अनफिट वाहनों से फैल रहा है प्रदूषण
Ghaziabad News:सड़कों पर बेलगाम दौड़ रहे अनफिट वाहनों के चलते उड़ते धूल के गुबार व डीजल व केरोसिन मिलावट कर चलने वाले वाहनों के जहरीले धुएं से स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है।अनफिट वाहनों में इंजन अच्छी तरह से काम नहीं करता है, जिससे ज्यादा मात्रा में कार्बन मोनोऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसें निकलती हैं। इससे लोगों को दमा, एलर्जी, आंख की बीमारी से पीड़ित हो रहे है। जिले की कुछ सड़कें बदहाल होने से यह समस्या अधिक हो जाती है। अनफिट वाहनों से फैल रहे प्रदूषण का शिकार स्कूली बच्चे अधिक होते है। शहर व ग्रामीण अंचलों में अधिकांश लोग मास्क पहनकर नहीं निकलते हैं।
जिले में इ रिक्शा भी हुई अनफिट
Ghaziabad News:बता दें की गाजियाबाद के अंदर 25628 ई-रिक्शा पंजीकृत हैं। इसमें 10345 का फिटनेस नहीं कराया गया है। लापरवाही की स्थिति यह है कि इसमें सात हजार ई रिक्शा ऐसे हैं, जिन्होंने नया लेने के बाद दोबारा उसका फिटनेस नहीं कराया गया। यही नहीं इनके ज्यादातर ड्राइवर नाबालिग होते हैं, जिन्हें ट्रैफिक नियमों की कोई समझ नहीं होती। इसी कारण ये दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। हादसे की स्थिति में ई-रिक्शा का कोई डॉक्यूमेंट न होने पर कार्रवाई करना मुश्किल हो जाता है। एक अप्रैल को इनके खिलाफ अभियान चलाने का दावा भी किया गया था लेकिन इसका भी कोई परिणाम नहीं निकला।
