Ghaziabad News : पदाधिकारियों के स्थानांतरण न होने पर भी उठाए सवाल
गाजियाबाद से बड़ी खबर सामने आई हैं दरअसल जस्सीपुरा से पूर्व पार्षद मौ0 जाकिर अली सैफी ने गाजियाबाद नगर निगम पर गंभीर आरोप लगाए हैंँ। इस दौरान उनके साथ श्रीमती रुकसाना सैफी (पार्षद-95), श्रीमती नर्गिस जाकिर सैफी (पूर्व पार्षद वार्ड-95) ,संजय (पूर्व पार्षद अर्थला), मनोज चौधरी (पूर्व पार्षद रहीमपुर), शशि गौतम (पार्षद रजापुर), तुषार चौधरी मौजूद रहें। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कारवाई करने का निवेदन करते हुए कहा कि नगर निगम अधिकारियों की मिलीभगत के कारण न सिर्फ फर्जी और बार-बार रिवाइज की गई डीपीआर से धन की बर्बादी की जा रही है, बल्कि नियमों को ताक पर रखकर बिना अनुमति निर्माण कराए जा रहे हैं। इसके अलावा, नियमानुसार स्थानांतरण की प्रक्रिया को भी नजरअंदाज किया जा रहा है।
Ghaziabad News : अधिकारियों से अपनी जाने को खतरा बताया
उन्होंने आरोप लगाया कि नगर निगम द्वारा उत्तरांचल भवन, पूर्वांचल भवन और वाल्मीकि सभागार के निर्माण कार्यों को कई बार रिवाइज किया गया। हर बार एक ही आर्किटेक्ट फर्म, M Plus Arch (प्रो. मनोज वर्मा) को प्राथमिकता दी गई और एक ही कार्य की बार-बार डीपीआर बनवाई गई, जिससे भ्रष्टाचार की आशंका गहराई है। यह स्पष्ट रूप से निगम अधिकारियों और आर्किटेक्ट के बीच मिलीभगत को दर्शाता है। इसी क्रम में नगर निगम के अधिकारी बार-बार अनावश्यक निर्माण कार्य स्वीकृत करवा रहे हैं, जिससे नगर निगम को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है।
इसके अतिरिक्त उन्होंने आरोप लगाया कि वार्ड संख्या-09 व 19 में भी मरम्मत और निर्माण कार्य में बड़े स्तर पर वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं। मार्च 2024 में लाखों रुपये खर्च कर सड़क की मरम्मत कराई गई, जबकि उसी सड़क पर कुछ महीनों बाद फिर से नए निर्माण कार्यों को स्वीकृति दे दी गई। जब पहले से ही नई सड़क स्वीकृत हो चुकी थी, तब दोबारा मरम्मत या इंटरलॉकिंग का कार्य कराना पूरी तरह से जनता के पैसे की बर्बादी है। इसी तरह बिना वैध अनुमति के सरकारी जमीन पर MRF Centre का निर्माण कराया गया, जिसे बाद में संबंधित प्राधिकरण द्वारा गिरा दिया गया, लेकिन इसके बावजूद ठेकेदार को भुगतान कर दिया गया।
उन्होंने कहा नगर निगम गाजियाबाद में पदस्थापित कुछ अधिकारियों का स्थानांतरण नहीं होना भी सवालों को जन्म दे रहा हैं। । शासनादेश के अनुसार तीन वर्षों से अधिक समय तक एक ही स्थान पर कार्यरत अधिकारियों का स्थानांतरण अनिवार्य है, लेकिन नगर निगम में यह नियम लागू नहीं किया जा रहा। इन सभी मामलों को लेकर उन्होंने मांग की है कि शासन स्तर पर तत्काल विजिलेंस जांच कराई जाए ताकि दोषी अधिकारियों को रिलीव कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। इससे नगर निगम गाजियाबाद में पारदर्शिता बहाल होगी और जनता के धन की बर्बादी रोकी जा पाएगी । इसके साथ ही उन्होंने अंदेशा जताया कि अधिकारी उन्हें फर्जी मुकदमों में फंसा सकते हैं या हत्या भी करवा सकते हैं।
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