Ghaziabad News : इंदिरा के समय को भी किया याद
कांग्रेस के पूर्व नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अपनी पुरानी पार्टी पर एक बार फिर तीखा हमला बोला है, जिससे राजनीतिक हलकों में नई बहस छिड़ गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के भीतर आज भी एक ‘घोषित आंतरिक आपातकाल’ जैसा माहौल है और पार्टी के नेता स्वतंत्र रूप से अपनी बात रखने से डरते हैं। आचार्य प्रमोद का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब देश में 25 जून 1975 की इमरजेंसी की 50वीं वर्षगांठ पर भारतीय जनता पार्टी इसे ‘संविधान का काला दिवस’ बता रही है और कांग्रेस समेत विपक्षी दल वर्तमान केंद्र सरकार पर ‘अघोषित आपातकाल’ लगाने का आरोप लगा रहे हैं।
Ghaziabad News : जानें क्या हैं पूरा खबर ?
इसी मौके पर आचार्य प्रमोद ने कांग्रेस पार्टी की कार्यशैली पर तीखा कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी में पिछले 10 वर्षों से कोई भी सदस्य एक शब्द भी बोलने की हिम्मत नहीं कर पाया है। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी 50 साल पहले की इमरजेंसी की बात कर रहे हैं, लेकिन मैं आज की कांग्रेस की बात कर रहा हूं।” इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर भी निशाना साधा और आरोप लगाया कि खड़गे अपनी पहचान पार्टी में खुद ही खत्म कर चुके हैं। प्रमोद कृष्णम के मुताबिक, कांग्रेस में फैसले न खड़गे लेते हैं और न वरिष्ठ नेता—बल्कि राहुल गांधी के ‘नौकर’ निर्णय लेते हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी के भीतर बहुत से लोग अपनी बात कहना चाहते हैं, लेकिन उन्हें बोलने या उड़ने नहीं दिया जाता।
प्रमोद कृष्णम ने यह भी कहा कि कांग्रेस के भीतर ऐसे कई ‘परिंदे’ हैं जो उड़ान भरना चाहते हैं लेकिन उन्हें पिंजरे में कैद कर रखा गया है। उनके अनुसार, खड़गे आज अपनी पहचान और अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। उनका यह बयान विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ की एकता और रणनीति पर भी सवाल उठाता है, क्योंकि कांग्रेस इस गठबंधन में प्रमुख भूमिका निभा रही है और केंद्र सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपना रही है। आचार्य प्रमोद के इस बयान ने न सिर्फ कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति पर सवाल उठाए हैं, बल्कि विपक्षी एकजुटता को लेकर भी बहस छेड़ दी है। इस बयान के बाद कांग्रेस की तरफ से अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि पार्टी के भीतर इस पर मंथन जरूर हो रहा होगा।
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