Cyber Crime : साइबर ठगी का शिकार हुई महिला
गाजियाबाद से साइबर ठगी का मामला सामने आया हैं। जहां क्रॉसिंग रिपब्लिक निवासी शैलेन्द्र सिंह के साथ ऑनलाइन ट्रेडिंग और डिपॉजिट स्कैम के तहत 81.85 लाख रुपये की साइबर धोखाधड़ी हुई है। इस मामले में उन्होंने साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, गाजियाबाद में शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत के अनुसार, शैलेन्द्र सिंह को सबसे पहले टेलीग्राम चैनल “स्प्रेडेक्स ग्लोबल लिमिटेड” और एक ट्रेडिंग वेबसाइट “स्प्रेडेक्स ग्लोबल लिमिटेड” के माध्यम से संपर्क किया गया। उन्हें एक महिला, निधि शर्मा (जो खुद को बैंगलोर स्थित एक फर्म की सलाहकार बता रही थी) ने वाटसप पर संपर्क किया और उच्च रिटर्न का लालच देकर निवेश के लिए प्रेरित किया।
Cyber Crime : कैसे हुआ घोटाला?
सबसे पहले पीड़ित को एक फर्जी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर खाता बनाने के लिए कहा गया। उन्हें लॉगिन आईडी और पासवर्ड प्रदान किया गया । शैलेन्द्र ने शुरुआती तौर पर ₹40,000 का निवेश किया, जिसके बाद उन्हें ₹48,000 का रिटर्न मिला, जिससे उन्हें प्लेटफॉर्म की वैधता पर भरोसा हो गया। इसके बाद उन्होंने कई बैंक खातों में लाखों रुपये स्थानांतरित किए, जिन्हें कथित रूप से उनके ट्रेडिंग खाते में दिखाया जाता रहा।
कुल मिलाकर ₹67.85 लाख का निवेश करने के बाद, जब उन्होंने रिटर्न और टैक्स से जुड़ी जानकारी मांगी, तो उन्हें ₹28.29 लाख की अतिरिक्त टैक्स राशि जमा करने को कहा गया। इसके बाद भी उनसे मुद्रा रूपांतरण शुल्क (₹32.16 लाख) मांगने लगे, जिससे उन्हें धोखाधड़ी का एहसास हुआ।
Cyber Crime : शिकायत में दिए गए ट्रांजैक्शन डिटेल्स
शैलेन्द्र सिंह ने अपने बैंक खाते से कई अलग-अलग खातों में भारी रकम ट्रांसफर की, जिनमें कुछ प्रमुख लेनदेन इस प्रकार हैं:
18 नवंबर 2024: ₹40,000 (देवी एंटरप्राइज, यूको बैंक)
20 नवंबर 2024: ₹1,00,000 (केके एंटरप्राइज, बैंक ऑफ महाराष्ट्र)
6 दिसंबर 2024: ₹51 लाख (जय अंबे टेक्सटाइल, पंजाब सिंध बैंक)
10 जनवरी 2025: ₹13.75 लाख (साद ग्लोबल, रत्नाकर बैंक लिमिटेड)
14 फरवरी 2025: ₹5 लाख (एपीएएस गारमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, बंधन बैंक)
शिकायत में यह भी बताया गया कि इस पूरे घोटाले में शामिल निधि शर्मा ने कई महत्वपूर्ण चैट डिलीट कर दी हैं, जिससे जांच और चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
Cyber Crime : क्या कह रही पुलिस?
साइबर क्राइम पुलिस, गाजियाबाद ने मामले की जांच शुरू कर दी है। शुरुआती जांच में पता चला है कि इस घोटाले में फर्जी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म, फर्जी बैंक अकाउंट्स और टेलीग्राम जैसे ऐप का इस्तेमाल किया गया। पुलिस अब बैंक डिटेल्स और डिजिटल लेनदेन के आधार पर आरोपियों की पहचान करने में जुटी है।
