Cyber Crime : साइबर ठगी का शिकार हुई महिला
आगरा में एक चौंकाने वाला साइबर क्राइम सामने आया है, जहां एक इंजीनियर युवती को अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगों ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखकर मानसिक, आर्थिक और भावनात्मक रूप से प्रताड़ित किया। युवती से न सिर्फ 16 लाख रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करवा लिए गए, बल्कि बॉडी स्कैन के बहाने कैमरे के सामने उसके कपड़े उतरवाए गए। ठगों ने खुद को CBI और नारकोटिक्स विभाग के अधिकारी बताकर मनी लॉन्ड्रिंग का फर्जी केस बताया और सुप्रीम कोर्ट का फर्जी आदेश भी भेजा। युवती को 30 दिन तक स्काइप कॉल पर निगरानी में रखा गया और किसी से बात करने की इजाजत तक नहीं दी गई। इस संगठित अपराध की साजिश हांगकांग से रची गई थी, जिसका खुलासा पुलिस ने एक आरोपी की गिरफ्तारी के बाद किया।
Cyber Crime : जाने क्या हैं पूरा मामला ?
इस पूरे साइबर अपराध की शुरुआत 24 दिसंबर 2024 को हुई, जब शाहगंज की रहने वाली युवती को एक इंटरनेशनल नंबर से कॉल आई। कॉल पर एक महिला ने खुद को ‘मेघा झा’ बताकर ब्लू डार्ट कूरियर कंपनी से जुड़ा बताया। उसने दावा किया कि युवती के नाम से एक पार्सल होल्ड किया गया है, जिसमें कई संवेदनशील सामग्री—जैसे पांच पासपोर्ट, तीन क्रेडिट कार्ड, बैंक दस्तावेज, दवाइयों के पैकेट और नकदी शामिल है। जब पीड़िता ने किसी भी पार्सल की जानकारी से इनकार किया, तो उसे कहा गया कि उसकी आईडी का दुरुपयोग हुआ है और अब यह मामला मुंबई पुलिस के पास चला गया है। इसके बाद उसे एक अन्य नंबर पर मुंबई पुलिस से जुड़ी एक दूसरी महिला अधिकारी से जोड़ दिया गया, जिसने उसे बताया कि यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग का है और अब सीबीआई इसमें जांच करेगी।
ठगों ने युवती को विश्वास में लेने के लिए सीबीआई के फर्जी दस्तावेज भेजे, जिनमें उसका नाम, आधार नंबर और केस से जुड़ी फर्जी जानकारी शामिल थी। युवती को बताया गया कि मुंबई में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज हो चुका है और अब उसे 24 घंटे की निगरानी में रहना होगा। इसके बाद उसे स्काइप पर जोड़ दिया गया और मोबाइल दूर रखने को कहा गया। युवती को धमकाया गया कि यदि वह किसी से बात करेगी तो कानूनी कार्रवाई और गिरफ्तारी हो सकती है। इसके बाद युवती से एक-एक कर पैसे मांगे जाने लगे। पहले 9 लाख रुपये, फिर 3 लाख रुपये, फिर 2.10 लाख रुपये, और अंततः 2 लाख रुपये और। कुल मिलाकर पीड़िता से करीब 16 लाख रुपये ठग लिए गए। जब उसके पास पैसे नहीं बचे, तो उसे लोन लेने के लिए मजबूर किया गया। हालांकि, लोन स्वीकृत नहीं हुआ।
अपराध यहीं नहीं रुका। साइबर ठगों ने पीड़िता से बॉडी स्कैन के नाम पर वीडियो कॉल पर कपड़े उतारने तक को मजबूर किया। एक व्यक्ति, जिसने खुद को ‘हेमराज’ बताया, ने कहा कि नारकोटिक्स विभाग की जांच के लिए टैटू दिखाना जरूरी है। जब पीड़िता ने कहा कि उसके शरीर पर कोई टैटू नहीं है, तो उसे डराया गया कि मुंबई आने पर उसका केस और बिगड़ जाएगा। मजबूरी में युवती ने कॉल पर कपड़े उतारकर स्कैन प्रक्रिया का नाटक किया। इसके बाद भी उसे फर्जी सुप्रीम कोर्ट ऑर्डर भेजा गया और 29 जनवरी को कहा गया कि अब उसे डिजिटल अरेस्ट से मुक्त किया जा रहा है। जब पीड़िता ने ठगों से पैसे वापस मांगे, तो किसी ने जवाब नहीं दिया। इसी से उसे एहसास हुआ कि वह ठगी का शिकार हो चुकी है।
इसके बाद युवती ने आगरा के साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए राजस्थान के सीकर जिले से एक आरोपी रविंद्र प्रसाद वर्मा को गिरफ्तार किया। पूछताछ में उसने खुलासा किया कि इस गिरोह का सरगना हांगकांग में बैठा है, जो खुद को CBI और कस्टम अधिकारी बताकर भारत के लोगों को डराता है और ठगी करता है। रविंद्र का काम लोगों को बैंक खाता उपलब्ध कराना और फर्जी डॉक्यूमेंट तैयार करना था। यह मामला न केवल साइबर अपराध की नई भयावहता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि किस तरह अपराधी तकनीक और मनोवैज्ञानिक हथकंडों का इस्तेमाल कर लोगों को शिकार बना रहे हैं। पुलिस ने अब अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के सहयोग से गैंग के सरगना तक पहुंचने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है।
