Awami League: बांग्लादेश में अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की मुश्किलें बढ़ गई है। आपको बता दें कि देश की अंतरिम सरकार ने अवामी लीग पार्टी को आधिकारिक रूप से बैन कर दिया है. इसी के साथ शेख हसीना का फिर से आम चुनाव लड़ने का सपना भी चूर-चूर हो गया है। चुनाव आयोग की घोषणा में उसने अवामी लीग का पंजीकरण भी रद्द कर दिया है, जिसके तहत अब पार्टी चुनाव भी नहीं लड़ सकेगी।
बांग्लादेश ने शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया है. देश ने आतंकवाद विरोधी कानून में संशोधन किया है और उसी के तहत आधिकारिक तौर पर यह फैसला लिया गया है. इस संशोधन के तहत अधिकारियों को देश के युद्ध अपराध न्यायाधिकरण द्वारा लंबित मुकदमों में कथित आतंकवाद में शामिल संगठनों को गैरकानूनी घोषित करने की अनुमति मिल गई है।
पार्टी पर लगा दिया प्रतिबन्ध
Awami League: बांग्लादेश ने सोमवार को देश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग को आधिकारिक तौर पर भंग कर दिया है जिसकी वजह नए संशोधित आतंकवाद विरोधी कानून बताया जा रहा है। आपको बता दें की पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के पार्टी की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के ठीक दो दिन बाद आया है. गृह सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर) जहांगीर आलम ने सोमवार को एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, इसको लेकर आज एक गजट अधिसूचना जारी की गई है.
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया है की ,अधिसूचना के अनुसार, अवामी लीग और उसके संबद्ध संगठनों को आतंकवाद विरोधी अधिनियम 2025 के तहत तब तक प्रतिबंधित किया गया है जब तक कि बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी-बीडी) अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं के मुकदमे को पूरा नहीं कर लेता. उन्होंने कहा कि संशोधित कानून की धारा 18 सरकार को व्यक्तियों के साथ-साथ किसी भी “इकाई” (Entity) और संगठन या व्यक्ति को आतंकवादी-संबद्ध रूप में घोषित कर सकती है।
आतंकवाद विरोधी अधिनियम को करा गया संशोधित
Awami League: 2009 के आतंकवाद विरोधी अधिनियम में संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान नहीं था। हालांकि, अब यह प्रावधान जोड़ा गया है। रविवार रात राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने इस अधिनियम में संशोधन करते हुए एक अध्यादेश जारी किया, जिसमें आतंकवाद के आरोपों का सामना कर रहे व्यक्तियों या संस्थाओं के समर्थन में प्रेस बयानों, सोशल मीडिया सामग्री और सार्वजनिक समारोहों पर रोक लगा दी गई है। यह अध्यादेश मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में सलाहकार परिषद द्वारा अध्यादेश को मंजूरी देने के कुछ ही घंटों बाद जारी किया गया। संशोधित कानून के तहत, अब सरकार को यह अधिकार प्राप्त है कि वह किसी भी व्यक्ति या संस्था के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है, यदि उन्हें आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों में संलिप्त पाया जाता है, और उनके समर्थन में किसी भी प्रकार की प्रचार सामग्री या सार्वजनिक समर्थन को प्रतिबंधित किया जा सकता है।
नेताओं पर लगे अनेक आरोप
Awami League: आवामी लीग, जिसकी स्थापना 1949 में हुई थी, ने पूर्वी पाकिस्तान में बंगालियों की स्वतंत्रता के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया और 1971 के मुक्ति संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शेख हसीना ने 16 वर्षों तक इस पार्टी की सरकार का नेतृत्व किया। हालांकि, अगस्त 2024 में छात्रों के नेतृत्व में हुए एक बड़े विरोध प्रदर्शन के बाद, देश में हिंसक विद्रोह भड़क उठा, जिसके परिणामस्वरूप हसीना को भारत में शरण लेनी पड़ी। उनके निष्कासन के तीन दिन बाद, नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में कार्यभार संभाला। तब से, हसीना और उनकी पार्टी के कई नेताओं पर सामूहिक हत्या और भ्रष्टाचार सहित सैकड़ों मामलों में आरोप लगे हैं। उनकी सरकार के अधिकांश मंत्री और नेता या तो गिरफ्तार हो चुके हैं या देश छोड़कर भाग गए हैं।
